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Farmer Protest: 'हम टकराव के लिए नहीं... अपने हक मांगने आए हैं', दिल्ली कूच के लिए रवाना हुए किसानों ने की MSP की मांग

खनौरी के दाता सिंह बार्डर पर एक बार फिर माहौल तनावपूर्ण और किसान दिल्ली कूच के लिए राशन व अन्य सभी सामान लेकर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में घरों से निकल चुके हैं। हाथों में झंडे व जुबान पर किसानी नारे लगाते हुए ट्रैक्टर-ट्रालियों में किसानों का काफिले मैहलां चौंक से चलकर खनौरी बार्डर पर पहुंच कर आगे बढ़ने के प्रयास में किसानों की हरियाणा की सुरक्षा फोर्स से झड़प भी हुई।

By SACHIN DHANJAS Edited By: Shoyeb AhmedUpdated: Wed, 14 Feb 2024 04:15 AM (IST)
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किसान आंदोवलन को लेकर कई किसानों ने दिए अपने विचार
जागरण संवाददाता, संगरूर। खनौरी के दाता सिंह बार्डर पर एक बार फिर माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। किसान दिल्ली कूच के लिए राशन व अन्य साजोसामान लेकर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में घरों से निकल पड़े हैं।

हाथों में झंडे व जुबान पर किसानी नारे लगाते हुए ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में किसानों का काफिले मैहलां चौंक से चलकर खनौरी बार्डर पर पहुंच गया, जहां आगे बढ़ने का प्रयास करते किसानों की हरियाणा की सुरक्षा फोर्स से झड़प भी हुई।

ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में बैठे मिले किसान

इस झड़प से दूर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में कुछ बुजुर्ग किसान ऐसे भी बैठे मिले, जिनमें दिल्ली जाने का जोश को खूब दिखाई दिया, लेकिन वह दिल्ली जाने के लिए किसी से टकराव करने के मूड में नहीं। टैक्टर-ट्राली के बाहर बैठे गांव महासिंह वाला के 65 वर्षीय सरदारा सिंह का कहना है कि हरियाणा सरकार ने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए रुकावटें लगाई।

भारी पुलिस व सेना के जवान तैयार कर दिए, लेकिन हम लड़ने नहीं, बल्कि अपने हक मांगने जा रहे हैं। किसानी मांगों को पूरा करवाने के लिए शांतिमय संघर्ष करने की राह पर चले हैं व शांति ही बरकरार रखेंगे। काफिले में कोई जेसीबी, कोई क्रेन नहीं है। केवल किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर अपना साजोसामान लेकर जा रहे हैं। सड़क से नहीं तो खेतों से होकर गुजरेंगे, लेकिन दिल्ली जरूर जाएंगे।

फसल के लिए एमएसपी करवानी है लागू

सरदारा सिंह ने कहा कि पीढ़ी दर पीढ़ी खेती कर रहे हैं। सरकार फसली विभिन्नता की तरफ किसानों को रुख करने के लिए प्रेरित करती हैं। सरकार की बात मानकर किसान खेती विभिन्नता की तरफ कदम भी बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन जब फसल का पर्याप्त मूल्य नहीं मिलता तो मजबूरन फिर धान व गेहूं की तरफ रुख करना पड़ता है।

अगर सरकार हर फसल पर एमएसपी तय करें व किसानों को एमएसपी की गारंटी मिले तो किसान खुशी से अन्य फसलों की बिजाई भी करेगा। इसी मांग को लेकर आज फिर दिल्ली कूच कर रहे हैं, ताकि केंद्र सरकार पर दबाव बनाकर फसलों पर एमएसपी लागू करवा सकें। सरदारा सिंह ने कहा कि बिना एमएसपी के किसानों के लिए खेती फायदेमंद धंधा नहीं बन सकती। केंद्र सरकार आज उनकी यह मांग पूरी करें तो वह यहीं से वापस अपने घर की तरफ रुख कर लेंगे।

किसान हो रहे कर्जदार

मुक्तसर साहिब से आए किसान दिलबाग सिंह, नैब सिंह, जसमिंदर सिंह, जगदेव सिंह का कहना है कि इससे पहले भी किसान दिल्ली में आंदोलन कर चुके हैं। अगर मांगें पूरी हो जाती तो अब दोबारा दिल्ली की तरफ रुख करने की जरूरत न पड़ती।

फसलों पर एमएसपी न मिलने के कारण ही किसान कर्जदार हो रहे हैं, क्योंकि किसानों को उनकी अन्य फसलों का मूल्य नहीं मिलता। यह मुद्दा केवल पंजाब के किसानों का नहीं, बल्कि देशभर के किसान का है। किसानी को फायदेमंद बनाने के लिए सरकार फसल पर एमएसपी तय करे।

किसान शमशेर सिंह ने ये कहा

किसान शमशेर सिंह ने कहा कि वह पिछली बार भी किसान आंदोलन पर गए थे व एक बार फिर दिल्ली की तरफ रुख कर लिया है। केंद्र की सरकार ने इससे पहले भी स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने का वादा किया था, लेकिन आज तक मांग पूरी नहीं हुई।

लिहाजा अब किसान राशन, बिस्तर, कपड़े, दो पहिया वाहन, दवाएं, कूलर इत्यादि सहित जरूरत का सारा साजोसामान लेकर घरों से निकले हैं व दिल्ली में आंदोलन करेंगे। वह अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए किसानी को बचाने की खातिर संघर्ष की राह पर चले हैं, ताकि किसानी को अपने नौजवानों के लिए बचा सकें।

किसान न करें खुदकुशी, सरकार बनाए रणनीति

गांव कलाना बुढ़लाड़ा के किसान अमरजीत सिंह, बलवंत सिंह, जगराज सिंह भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के कार्यकर्ताओं ने कहा कि किसान संगठन लगातार किसानों को जागरूक करते रहते है, ताकि किसान मौजूदा स्थिति से परिचित रहें।

किसानी को फायदेमंद बनाने, किसानों को कर्जे से निजात दिलाने व किसानों को आत्महत्या से बचाने की खातिर सरकार कोई ठोस नीति बनाएं, ताकि कर्जे से परेशान किसान आत्महत्या करने को मजबूर न हों। सभी फसलों का सही मूल्य मिले तो किसान को अच्छी कमाई होगी व किसान कर्जई नहीं होंगे। लिहाजा किसान को आत्महत्या नहीं करनी पड़ेगी। सरकारें किसानों का दर्द समझें, उन्हें केवल वोटर बैंक ही न समझे।

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