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पराली को गेहूं व आलू के लिए बनाया उपयोगी

देसराज शर्मा अहमदगढ़ (संगरूर) किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने के लिए खेती को फायदेमंद बनाया।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 22 Oct 2020 08:30 AM (IST)
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पराली को गेहूं व आलू के लिए बनाया उपयोगी

देसराज शर्मा, अहमदगढ़ (संगरूर) : किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करने के लिए खेतीबाड़ी विभाग व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड लगातार प्रेरित करने में जुटा है, जिसकी बदौलत इलाके में किसान तेजी से पराली न जलाकर गेहूं की सीधी बिजाई के लिए आगे आ रहे हैं, वहीं जिले के कई किसान ऐसे भी हैं जो पिछले कई वर्षों से पराली न जलाकर खेती करने में जुटे हैं। पराली बिना जलाए खेती करने वालों में नजदीकी गांव फलौद कलां ब्लाक अहमदगढ़ के किसान निर्मल सिंह भी शामिल हैं। वह पिछले सात वर्षों से बिना पराली जलाए 28 एकड़ रकबे में खेती कर रहा हैं। सीधी बिजाई की विधि अपनाकर निर्मल सिंह अन्य किसानों से अधिक मुनाफा कमा रहा हैं।

किसान निर्मल सिंह ने बताया कि सभी को पर्यावरण की संभाल करना यकीनी बनाया चाहिए। अगर पर्यावरण ठीक होगा तो मनुष्य ठीक रहेगा। उसने इस वर्ष धान की कटाई सुपर एसएमएस से करवाई है। वह 20 एकड़ में रोटावेटर व 8 एकड़ में डायमंड आलू की बिजाई आरएमबी पलो से करेगा। उसने बताया कि आग न लगाने से खेतों में जैविक शक्ति बढ़ती है। खेतों में रोटावेटर, आरएमबी पलो आदि औजारों से गेहूं की बिजाई आसान हो जाता है। इसके अलावा फसल के लिए फायदेमंद कीटों की हिफाजत होती है। पराली जमीन में डालने से लघु तत्व ठीक रहते हैं। जमीन की उपजाऊ शक्ति बरकरार रहती है। खेती के साथ डेयरी फार्मिंग में भी प्रयास

किसानों को खेती के साथ-साथ सहायक धंधों प्रति भी रूचि रखने की मिले प्रेरणा सदका निर्मल सिंह डेयरी फार्मिंग में भी हाथ अजमा रहे हैं। निर्माण ने बताया कि वह खेती के अलावा 8 गायों व 5 भैसों से डेयरी फार्मिग का काम भी करता है। वह खुद वेरका मिलक प्लांट को दूध सप्लाई करता है। इसके अलावा घरेलू जरूरत हेतु एक बीघा जमीन में जैविक सब्जियों की खेती करता है। किसानी को मजबूत बनाने के लिए सहायक धंधों को अपनाया भी जरूरी है, क्योंकि इससे किसानों की रोजमर्रा की घरेलू जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। पराली जलाकर जमीन न करें बर्बाद

निर्मल सिंह ने किसानों से अपील की कि वह पराली को जमीन में मिलाकर ही अगली फसल की सीधी बिजाई करें। इससे जहां जमीन की उपजाऊ शक्ति बेहतर होगी, वहीं किसानों को फसल का अधिक झाड़ प्राप्त होगा। पराली जलाने से जमीन बर्बाद होने लगती है, जिससे धीरे-धीरे वर्ष दर वर्ष झाड़ कम होने लगता है व किसान को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। सरकार मशीनरी मुहैया करवा रही है, जिसका सभी किसानों को लाभ प्राप्त करना चाहिए।

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