Sangrur News: भारी बारिश और आंधी से पंजाब के किसान फिर चिंतित, फिर बर्बाद हुई धान की फसल
भारी बारिश से जहां तापमान में गिरावट आने से लोगों ने राहत की सांस ली है वहीं सब्जियों व अन्य फसलों के लिए लाभदायक माना जा रहा है। परंतु दूसरी तरफ बासमती धान रोपाई करने वाले किसानों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। तेज बारिश व आंधी से बल्लियों पर लगा बौर झड़ने लगा है जिससे किसानों को कम पैदावार होने का डर सता रहा है।
खनौरी (संगरूर), संवाद सूत्र। पिछले एक सप्ताह में हुई भारी बारिश से जहां तापमान में गिरावट (Temperature Down Due to Heavy Rain) आने से लोगों ने राहत की सांस ली है, वहीं सब्जियों व अन्य फसलों के लिए लाभदायक माना जा रहा है। परंतु दूसरी तरफ बासमती धान रोपाई करने वाले किसानों के लिए मुसीबत (Punjab Farmers Worried) खड़ी कर दी है।
किसानों में कम पैदावार होने का डर
हालांकि इस समय धान की बाकी किस्में भी निसार पर आने लगी हैं, पौधे में से बल्लियां निकलने लगी हैं। तेज बारिश व आंधी से बल्लियों पर लगा बौर झड़ने लगा है, जिससे किसानों को कम पैदावार होने का डर सता रहा है। इस अवसर पर जानकारी देते हुए किसान बलवंत सिंह, कुलदीप शर्मा व अमरीक सिंह ने बताया कि उनके खेतों में धान की आगामी किस्म बासमती 1509, पीआर, नरमा लगा हुआ है, जो पकने की कगार पर है।
कंबाइन से काटने में होगी परेशानी
पिछले दिनों हुई बरसात से फसल धरती पर बिछ गई है, जिसके खराब हाेने की आशंका है। ऊपर से अधिक नमी के कारण बल्लियों में लगे दाने पर कालिख व उल्ली रोग की बीमारियां लग सकती हैं। इससे मंडीकरण में बेचते समय किसानों को दाम कम मिलने की समस्या आ सकती है। किसानों ने कहा कि खेतों में बिछी धान को कंबाइन से काटना मुश्किल होगा। अगर हाथों से कटाई करवाई तो भी लेबर महंगी पड़ेगी।
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धान को कोई नुकसान नहीं होगा
खेतीबाड़ी विकास अफसर लहरागागा सविंदरजीत सिंह ने बताया कि बारिश का धान की निसारे पर देर से पकने वाली फसल पर कोई बुरा प्रभाव नहीं होगा। केवल आंधी के कारण खेतों में बिछी और पानी में डूबी फसल के दाने पर कालिख आने का खतरा है। नरमे का एरिया लहरागागा में बेहद कम है। फिर भी यदि किसी नरमा काश्तकार काे दिक्कत हुई तो विभाग उसका हल करेगा।