Action on Parali Burning: पंजाब के मालेरकोटला में छह खेतों में जलती मिली पराली, किसानों पर 15 हजार जुर्माना
मालेरकोटला में डीसी संयम अग्रवाल ने सैटेलाइट के जरिए आग लगने वाले खेत की शिनाख्त करके 48 घंटे में कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। डीसी ने बताया कि जिले में किसानों को सब्सिडी पर पराली प्रबंधन के लिए 266 मशीनें बांटी जा चुकी हैं।
By Jagran NewsEdited By: Pankaj DwivediUpdated: Mon, 31 Oct 2022 06:30 PM (IST)
संवाद सूत्र, मालेरकोटला। जिला मालेरकोटला में धान की पराली जलाने वाले किसानों को अब तक 15 हजार रुपये का जुर्माना किया जा चुका है। टीमें लगातार आग लगाने वाले खेतों तक पहुंच कर रही हैं। डीसी संयम अग्रवाल ने बताया कि 29 अक्टूबर तक टीमों ने 121 स्थानों पर जाकर छह खेतों में आग लगने की पुष्टि करते हुए किसानों पर 2500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से 15 हजार रुपये जुर्माना किया।
डीसी ने कहा कि माल अधिकारियों को पहले ही हिदायत की जा चुकी है कि सैटेलाइट के जरिए आग लगने वाले खेत की शिनाख्त करके 48 घंटे में कार्रवाई की जाए। मौके पर पहुंचकर रिपोर्ट तैयार की जाए ताकि आगे प्रदूषण को रोका जा सके। डीसी ने किसानों से अपील की कि आग लगाने से पर्यावरण दूषित होता है व पराली न जलाई जाए।
एक एकड़ धान से निकलती है 3 टन पराली
एक एकड़ धान की फसल से 3 टन पराली निकलती है। इसे जलाने से 400 किलो जैविक कार्बन, 5.5 नाइट्रोजन, 2.3 फास्फोरस, 2.5 पोटाश, 12 किलो सल्फर का नुकसान होता है। इसके बजाय किसान पराली को बगैर जलाए जमीन में मिलाकर खाद का काम लें जिससे गेहूं बुबाई में खाद की कम खपत होगी, जिससे किसानों की बचत हो जाएगी।पराली प्रबंधन के लिए 266 मशीनें बांटी
डीसी ने बताया कि जिले में किसानों को सब्सिडी पर पराली प्रबंधन के लिए 266 मशीनें बांटी जा चुकी हैं। इससे मशीनों की कुल संख्या 703 हो गई है। इससे पहले वर्ष 2018-2022 तक किसानों को 437 मशीनें बांटी जा चुकी हैं। मौजूदा सीजन में खेतीबाड़ी ब्लाक मालेरकोटला अधीन 150 व ब्लाक अहमदगढ़ अधीन 116 आधुनिक खेतीबाड़ी उपकरणों को वितरित किया गया है।एप से जरूरी खेतीबाड़ी मशीन बुक करवाएं
इसके अलावा धारा 144 के तहत पराली न जलाने संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। डीसी ने बताया कि आई खेत एप से किसान घर बैठे मोबाइल पर जरूरी खेतीबाड़ी मशीनरी बुक करवा सकते हैं। उन्होंने पंचों, सरपंचों व नंबरदारों को अपील की कि वह पंजाब सरकार का पर्यावरण बचाने में सहयोग करें, किसानों को अधिक से अधिक जागरूक किया जाए।
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