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Punjab News: धान खरीद में देरी से किसान परेशान, मंडियों में चारपाई लगाकर सोने को मजबूर

तरनतारन में धान की खरीद में देरी से किसानों को परेशानी हो रही है। सरकारी खरीद एजेंसियों और शैलर मालिकों के बीच पेच के चलते फसल की खरीद नहीं हो पा रही है। बता दें कि तरनतारन जिले में 62 धान खरीद केंद्र बनाए गए है। इन खरीद केंद्रों पर नौ लाख 27 हजार 611 मीट्रिक टन धान और बासमती की आमद हुई है।

By Jagran News Edited By: Rajiv Mishra Updated: Mon, 21 Oct 2024 06:32 PM (IST)
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तरनतारन केधान खरीद केंद्रों में धान व बासमती के लगे अंबार
धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन। पहली अक्टूबर से धान की खरीद शुरु करवाते सरकार ने दावा किया था कि किसानों को समय पर भुगतान किया जाएगा। खरीद केंद्रों में पुख्ता प्रबंधों का भी दम भरा गया था। जो झूठा साबित हो रहा है। जिला तरनतारन के खरीद केंद्रों में धान और बासमती के अंबार लग रहे हैं, परंतु शैलर मालिकों व सरकार के बीच फंसे पेच के चलते फसल की खरीद नहीं हो रही। किसान कई सपने लेकर अनाज मंडियों में फसल लेकर आ रहे हैं, परंतु यहां पर चारपाई लगानी पड़ रही है।

जिले में बनाए गए हैं 62 खरीद केंद्र

सरकार की ओर से जिले भर में 62 खरीद केंद्र बनाए गए हैं। सोमवार की शाम तक इन खरीद केंद्रों में नौ लाख 27 हजार 611 मीट्रिक टन धान और बासमती की आमद हुई है। जबकि एक लाख 95 हजार 56 मीट्रिक टन की खरीद हुई है। लिफ्टिंग की बात करें तो एक लाख पांच हजार 338 मीट्रिक टन धान की लिफ्टिंग हो पाई है। जो 30.90 फीसदी बनता है। 48 घंटे में भुगतान के मामले में भी सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। सोमवार की शाम तक 249.02 करोड़ का भुगतान हुआ है।

...इसलिए हो रही है किसानों को मुश्किल

शैलर मालिकों व पंजाब सरकार के बीच फंसे पेच के चलते किसानों को अधिक मुश्किल आ रही है। सरकार की ओर से बासमती का दाम 2310 रुपये प्रति कवंटल तय किया गया है। जबकि नमी की मात्रा 17 फीसदी तक रखी गई है। बासमती की डेमेज व अधिक नमी के नाम पर 1800, 1900 व दो हजार प्रति कवंटल के हिसाब से प्राइवेट कंपनियां खरीद कर रही हैं। जिले भर में प्राइवेट कंपिनयों की ओर से केवल 643 मीट्रिक टन बासमती की खरीद की गई है।

सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीद

  • पनग्रेन- 3,37,708
  • मार्कफैड- 2,26,531
  • पनसप- 1,97,776
  • वेयरहाउस- 1,20,142
  • एफसीआइ- 45,454 (मीट्रिक टन)

मंडी में नहीं है मूलभुत सुविधाएं

गांव बंडाला निवासी किसान बलविंदर सिंह ने बताया कि वह सात एकड़ जमीन का मालिक है। दो एकड़ से संबंधित बासमती का ढेर अनाज मंडी में लेकर सुबह दस बजे पहुंचा। सरकारी खरीद एजेंसी का कोई भी अधिकारी उसके ढेर (बासमती) को खरीदने के लिए तैयार नहीं। शाम चार बजे 1850 रुपये प्रति कवंटल के हिसाब से दाम लगाया गया। अनाज मंडी में बैठने के लिए चारपाई गांव से मंगवाई है। पेयजल का प्रबंध नहीं। रात के अंधेरे में चोरी का भी डर है, क्योंकि बिजली व्यवस्था खराब है।

दैनिक जागरण से बात करते हुए भावुक हो गया किसान

गांव केरों निवासी किसान जस्सा सिंह ढाई एकड़ जमीन का मालिक है। दैनिक जागरण से बातचीत मौके वह भावुक हो गए। जस्सा सिंह ने बताया कि तीन दिन केरों की अनाज मंडी में बासमती लेकर बैठा रहा, परंतु खरीद नहीं हुई।

सोमवार को यह उम्मीद लेकर तरनतारन मंडी पहुंचा कि अच्छा दाम मिलेगा, परंतु यहां पर 1900 रुपये प्रति कवंटल के हिसाब से अवाजें लगाई जा रही हैं। जस्सा सिंह ने कहा कि शैलर मालिकों को खरीद के लिए मनाने में पंजाब सरकार फेल साबित हुई है। कुल मिलाकर घाटा किसानों को हो रहा है।

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राइस मिलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ने कही ये बात

राइस मिलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष नवीन गुप्ता का कहना है कि गत वर्ष पूर्व खरीद एजेंसियों द्वारा खरीदी गई बासमती शैलर मालिकों के लिए घाटे वाला सौदा साबित हो रही है। समय पर शैलरों से बासमती की लिफ्टिंग नहीं करवाई गई।

एक क्विंटल बासमती में से शैलर मालिकों द्वारा 67 किलो के हिसाब से चावल देने होते हैं, परंतु 62 से 63 किलो चावल ही निकले हैं। कुल मिलाकर पूरा घाटा शैलर मालिकों को हो रहा है। सरकार को चाहिए कि शैलर मालिकों के हितों की भी सुध ली जाए।

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