Paramjit Singh Panjwar: पंजाब को दहलाने की साजिश रचने वाला पंजवड़ ढेर, लंबी है इसके गुनाहों की लिस्ट
Paramjit Singh Panjwar तरनतारन जिले के पंजवड़ गांव के रहने वाले परमजीत सिंह के खिलाफ पंजाब के तीन जिलों के नौ थानों में टाडा सहित कई अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज हैं। पंजवड़ 30 वर्ष से वांछित था। 1992 में वह पाकिस्तान भाग गया।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Sun, 07 May 2023 07:50 AM (IST)
तरनतारन, जागरण संवाददाता। खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ) के स्वयंभू प्रमुख और कुख्यात आतंकी परमजीत सिंह पंजवड़ की पाकिस्तान के शहर लाहौर में हत्या कर दी गई। मोटरसाइकिल पर आए दो अज्ञात हमलावरों ने 63 वर्षीय पंजवड़ को शनिवार सुबह उस समय गोली मार दी, जब वह अपनी सोसाइटी में टहल रहा था। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार से मुहैया कराए गए सुरक्षाकर्मी ने शूटरों पर गोलियां चलाईं, जिनमें से एक की मौत हो गई और दूसरा घायल हो गया।
पंजवड़ वर्ष 2020 में भारत सरकार की ओर से जारी मोस्ट वांटेड आतंकियों की सूची में आठवें स्थान पर था। भिंडरांवाला के संपर्क में रहे पंजवड़ की पत्नी अपने दो बेटों मनबीर सिंह (22) और राजन सिंह (20) के साथ जर्मनी में रहती थी। छह माह पहले उसकी वहां मौत हो चुकी है। पंजवड़ नाम बदलकर पाकिस्तान में रह रहा था।
तरनतारन जिले के पंजवड़ गांव के रहने वाले परमजीत सिंह के खिलाफ पंजाब के तीन जिलों के नौ थानों में टाडा सहित कई अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज हैं। हत्या, लूटपाट, रंगदारी, अपहरण के अलावा पुलिस अधिकारियों की गाड़ियों पर बम फेंकने और राकेट लांचरों से हमले में शामिल रहा पंजवड़ 30 वर्ष से वांछित था। उस पर पांच लाख रुपये का इनाम था, लेकिन 1992 में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो वह पाकिस्तान भाग गया।
मनबीर सिंह चेहरू ने 1986 में खालिस्तान कमांडो फोर्स की स्थापना की थी। इसका मकसद बैंक डकैती, अपहरण व फिरौती के जरिये हथियारों के लिए धन जुटाना था। 1986 में मनबीर के मारे जाने के बाद पंजवड़ का चचेरा भाई लाभ सिंह इसका चीफ बना। 1990 में उसके मारे जाने के बाद पंजवड़ खुद को केसीएफ का चीफ घोषित कर दिया। इससे पहले वह सहकारी को आपरेटिव बैंक की सोहल शाखा में काम करता था।
पाक से चला रहा था भारत विरोधी गतिविधियां
पंजवड़ पाकिस्तान में रहकर वहां मौजूद अन्य आतंकियों के साथ मिलकर पंजाब में फिर आतंकवाद को हवा दे रहा था। वह आतंकियों को हथियार प्रशिक्षण देने के साथ ही वीआईपी और आर्थिक प्रतिष्ठानों को लक्षित करने के लिए भारत में हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति और घुसपैठ में लगा हुआ था। वह अल्पसंख्यकों को भड़काने के उद्देश्य से रेडियो पाकिस्तान पर अत्यधिक देशद्रोही और अलगाववादी कार्यक्रमों के प्रसारण में भी शामिल था।परिवार को मीडिया से मिली हत्या की जानकारी
पंजवड़ के भाई बलदेव सिंह और सरबजीत सिंह गांव में खेती करते हैं, जबकि तीसरा भाई अमरजीत सिंह बैंक से रिटायर हुआ है। पंजवड़ का एक अन्य भाई राजविंदर सिंह और मां महिंदर कौर पुलिस के हाथों मारे गए थे। सरबजीत ने बताया कि वर्षों से उनकी परमजीत के साथ बातचीत नहीं हुई। परिवार को मीडिया से उसकी हत्या के बारे में पता चला है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।