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अजमेर में नाबालिग के साथ दुष्‍कर्म के दोषी को कोर्ट ने सुनाई 20 साल कैद की सजा, कहा- इनसे नरमी बरतना अनुचित

अजमेर ने पोस्‍को कोर्ट ने नाबालिग बच्‍ची के साथ दुष्‍कर्म के आरोपी को 20 साल कैद की सजा सुनाई है और साथ ही करीब 50 हजार रुपये जुर्माना भरने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोपियों के साथ नरमी बरतना सही नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Sun, 16 Oct 2022 11:11 AM (IST)
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अजमेर में नाबालिग के साथ दुष्‍कर्म के आरोपी को कोर्ट ने सुनाई 20 साल कैद की सजा

जयपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। राजस्‍थान (Rajasthan) में अजमेर के पोक्सो कोर्ट (Ajmer POSCO Court) ने शनिवार को 15 साल की नाबालिग से दुष्‍कर्म के मामले में अपना फैसला सुनाया है। न्यायाधीश ने आरोपी को 13 गवाह और 22 दस्तावेज के आधार पर 20 साल कठोर कारावास और 49 हजार रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया है। न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि देश में बच्‍चों के प्रति बढ़ते अपराध को देखते हुए आरोपी के साथ नरमी बरतना उचित नहीं है।

बच्‍ची को बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया आरोपी

अजमेर पोक्सो कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि 23 फरवरी, 2021 को शिकायतकर्ता ने नसीराबाद सदर थाने में शिकायत दर्ज कराई की उसकी 15 साल की बहन घर से खेत पर जानवरों के लिये चारा लेने और नहाने गई थी।

शाम ढलने के बाद भी जब वह घर वापस नहीं आई तो गांव में उसकी तलाशी शुरू हुई। लेकिन फिर भी वह नहीं मिली। इसके बाद पता चला कि सुरेश नाम का व्यक्ति उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया है। नसीराबाद सदर थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर 7 दिन बाद नाबालिग पीड़िता को अभियुक्त की बुआ के घर से दस्तियाब किया।

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वहां पीडि़ता ने अपने बयान में कहा कि आरोपी आरोपी सुरेश (29) ने उसे जबरदस्ती अपने साथ ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। जिस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ग्राम लसानी ब्यावर के निवासी सुरेश को गिरफ्तार किया।

शनिवार को पोक्सो कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी ने नाबालिग के साथ दुष्‍कर्म करने के साथ ही उसके हाथ पर खुद का और उसके नाम का टैटू भी बनवाया है।

जानें क्‍या है पोस्‍को एक्‍ट

सबसे पहले बता दें कि POCSO एक्ट का पूरा नाम "The Protection Of Children From Se**** Offences Act जिसे हिंदी में यौन अपराधों से बच्‍चों के संरक्षण अधिनियम के नाम से जाना जाता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 में इसे बनाया था ताकि यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और Porno**** जैसे जघन्य अपराधों से बच्‍चों की रक्षा की जा सके। 

हालांकि, देश में बच्‍चों के प्रति इस तरह के अपराधों की संख्‍या में वृद्धि को देखते हुए इसमें कुछ संशोधन भी लाया गया जिसके तहत संशोधित कानून में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है। इसके अलावा, बाल यौन उत्पीड़न के अन्य अपराधों के लिए सजा में भी सख्‍ती लाने का प्रस्‍ताव भी है।

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