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Ajmer Urs 2023: 18 जनवरी से होगा ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 811वें उर्स का आगाज, झंडे की रस्म से होगी शुरूआत

ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 811 वां सालाना उर्स का झंडा 18 जनवरी 23 को दरगाह के ब़ुलंद दरवाजे पर चढ़ाया जाएगा। बता दें कि 18 जनवरी को असर की नमाज के बाद शाम करीब 5 बजे गरीब नवाज गेस्ट हाउस से उर्स के झंडे का जुलूस रवाना होगा।

By Jagran NewsEdited By: Mohd FaisalUpdated: Tue, 17 Jan 2023 03:34 PM (IST)
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18 जनवरी से होगा ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 811वें उर्स का आगाज (फाइल फोटो)

अजमेर, जागरण संवाददाता। सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 811 वां सालाना उर्स का झंडा 18 जनवरी 23 को दरगाह के ब़ुलंद दरवाजे पर पारम्परिक रूप से भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्यों की ओर से चढ़ाया जाएगा। इसी के साथ अजमेर वाले सूफी संत गरीब नवाज ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स की औपचारिक शुरूआत हो जाएगी।

मजार पर अदा होगी गुस्ल की रस्म

उर्स का विधिवत प्रारम्भ रजब का चांद दिखाई देने पर 22 जनवरी 23 की रात से होगा। ख्वाजा साहब की मजार पर गुस्ल की रस्म अदा होगी और महफिल खाने में उर्स की महफिल सजेगी। इसी के साथ ही जन्नती दरवाजा खोला जाएगा।

नवाज गेस्ट हाउस से उर्स के झंडे का जुलूस रवाना होगा

जानकारी के अनुसार, भीलवाड़ा के गौरी परिवार के सदस्य फखरुद्दन गौरी की अगुवाई में परिवार के कुछ सदस्य अजमेर पहुंच गए हैं। 18 जनवरी को असर की नमाज के बाद शाम करीब 5 बजे गरीब नवाज गेस्ट हाउस से उर्स के झंडे का जुलूस रवाना होगा। गौरी परिवार के कुछ सदस्य सैयद मारूफ चिश्ती और फखरुद्दनी गौरी की अगुवाई मे चादर और तबर्रुक के थाल सिर पर लेकर चलेंगे। पुलिस बैंड सूफियाना कलाम पेश करेगा। शाही कव्वाल असरार हुसैन की पाटी के कव्वाल कलाम पेश करेंगे। बड़े पीर की पहाड़ी से 25 तोपों की सलामी दी जाएगी और तोप के गोले दागे जाएंगे।

1928 में शुरु हुई थी झंडे की परंपरा

गौरतलब है कि वर्ष 1928 से पेशावर के हजरत सैयद अब्दुल सत्तार बादशाह जान ने उर्स के झंडे की परंपरा की शुरूआत की थी। 1944 से 1991 तक लाल मोहम्मद ने यह रस्म निभाई थी। इसके बाद मोईनुद्दीन गौरी ने 2006 तक झंडा चढ़ाया। अब फखरूद्दीन गौरी परिवार इस रस्म को निभा रहा है।

दरगाह परिसर में किए गए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

ख्वाजा साहब की दरगाह कमेटी के सदस्य सपात खान और नाजिम समी अहमद ने दरगाह शरीफ और विश्राम स्थली का जायजा लेने के बाद उर्स की तैयारियों को अंतिम रूप दिए जाने के दिशा निर्देश दिए। इधर, कायड़ विश्राम स्थली पर लाखों जायरीन के विश्राम और वाहन पार्किंग की व्यवस्थाएं दुरुस्त की गई हैं। दरगाह क्षेत्र में बेरिकेडिंग शुरू कर दी गई है। जायरीन को लगेज स्कैनर व डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर से होकर गुजरना पड़ेगा। जगह जगह सुरक्षा व सर्तकता के लिए अतिरिक्त पुलिस जाप्ता तैनात रहेगा।

हजारों की तादात में जायरीनों के पहुंचने की संभावना

ख्वाजा साहब के उर्स में इस बार लाखों जायरीन के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। पिछले दो-तीन साल से कोरोना महामारी के चलते अर्थव्यवस्था की मंदी और पारिवारिक परेशानियों के रहते ख्वाजा साहब में आस्था रखने वाले यहां हाजिरी के लिए नहीं पहुंच पाए थे। इस बार स्थितियों सामान्य से अच्छी रहने की स्थिति में लोगों ने पहुंचने की सूचनाएं साझा कर होटल धर्मशालाओं में आवश्यक बुकिंग भी करवा ली है।

पाकिस्तानी जायरीन जत्थे के पहुंचने पर है असमंजस

ख्वाजा साहब के उर्स में पाकिस्तानी जायरीन जत्थे के पहुंचने पर अभी तक असमंजस ही बना हुआ है। यह बात अलग है कि अजमेर जिला प्रशासन ने जायरीन जत्थे के आगमन पर उनके ठहराने व अन्य व्यवस्थाओं को तैयार कर रखा है। मौजूदा स्थिति में पाकिस्ताने के सियासी हालात तथा वहां का सामान्य जीवन सुख-सौहार्द की दृष्टि से माकूल नहीं होने के दृष्टिगत पाक जायरीन जत्थे के पहुंचने की उम्मीद लोगों को कम ही लग रही है।

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