Sambhar Lake: 18 हजार पक्षियों की मौत के बाद सांभर झील से नमक सप्लाई पर रोक, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
Sambhar Lake. देश में नमक आपूर्ति करने के मामले में गुजरात पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर राजस्थान के सांभर एवं नांवा है।
By Sachin MishraEdited By: Updated: Fri, 22 Nov 2019 02:52 PM (IST)
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Sambhar Lake. देश में खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक सांभर में देशी-विदेशी 18 हजार पक्षियों की मौत के बाद क्षेत्र की एक हजार नमक उत्पादन इकाइयों को फिलहाल बंद कर दिया गया है। पक्षियों की मौत के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नेशनल वेटलैंड अथॉरिटी, राजस्थान स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल और जयपुर जिला कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी है। लवण निदेशालय ने आगामी आदेश तक इन इकाइयों से नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी है।
लवण निदेशक पीयूष दास का कहना है कि नमक की जांच कराई जा रही है, फिलहाल नमक उत्पादन इकाइयों से नमक की सप्लाई पर रोक लगा दी गई है। रोक लगने के बाद यह काम कर रहे करीब 25 हजार मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। लवण निदेशालय द्वारा सप्लाई पर रोक लगाने के बाद नमक उत्पादकों ने फिलहाल अपनी फैक्ट्री बंद कर दी है। यहां एक साल में करीब 25 लाख टन नमक का उत्पादन होता है। देश में नमक आपूर्ति करने के मामले में गुजरात पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर राजस्थान के सांभर एवं नांवा है। उधर, जांच में सामने आया कि सांभर झील में पक्षियों की मौत का सिलसिला पिछले एक माह से चल रहा था। लेकिन 15 दिन पहले इसका खुलासा हुआ तो राजस्थान सहित पूरे देश में हड़कंप मच गया। प्रदेश में खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पक्षियों के रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाली।
वहीं, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का एक दल भी सांभर झील पर पहुंचा। केंद्रीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की टीम सांभर पहुंची और वहां के हालातों की जांच की। जांच में सामने आया कि प्रशासनिक अधिकारियों के समय पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण कई पक्षी खारे पानी के कारण पूरी तरह से गल चुके थे, उनमें कीड़े पड़ गए थे। बरेली स्थित आइवीआरआइ लैब से गुरुवार शाम आई रिपोर्ट में सामने आया कि पक्षियों की मौत का कारण बोटूलिज्म नामक बीमारी है।
पक्षियों में फैली बोटूलिज्म बीमारी, नहीं है इनकी कोई वैक्सीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े वैज्ञानिकों एवं बरेली लैब के विशेषज्ञों ने चेताया है कि जिस बोटूलिज्म बीमारी के कारण 18 हजार देशी-विदेशी पक्षियों की मौत हुई है, उसका कोई वैक्सीन नहीं है। बचाव ही इसका उपाय है। रोकथाम और निगरानी आवश्यक है। इसमें बताया गया कि यदि मृत पक्षी को कोई अन्य पक्षी खा ले तो उसके भी यह संक्रमण फैल सकता है। बोटूलिज्म के बैक्टीरिया मिट्टी में रहते हैं और मृत पक्षी में पनपते हैं।
राजस्थान सरकार ने हाईकोर्ट में पेश किया जवाब उधर, राजस्थान हाईकोर्ट में शुक्रवार को पक्षियों की मौत के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से जवाब पेश किया गया। कोर्ट ने मृत पक्षियों को बाहर निकालने के लिए गहरे पानी में में जाने के लिए हाईस्पीड बोट, हाईटेक ड्रोन और आवश्यक संख्या में कर्मचारियों को तैनात करने के निर्देश दिए हैं।
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