Rajasthan: भील प्रदेश की मांग कर रही BAP, इसी मुद्दे पर लड़ेगी राजस्थान और मध्य प्रदेश का चुनाव
आदिवासी वोट बैंक पक्ष में करने को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने सक्रियता बढ़ा दी है। पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर दो सीटों पर जीत हासिल करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से टूटकर बनी भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने आदिवासियों के हक को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है। गुजरात के आदिवासी इलाकों में भी पार्टी चुनाव लड़ेगी।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Fri, 15 Sep 2023 02:15 PM (IST)
जागरण संवाददाता, जयपुर। आदिवासी वोट बैंक पक्ष में करने को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने सक्रियता बढ़ा दी है। पिछले राजस्थान विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर प्रत्याशी खड़े कर दो सीटों पर जीत हासिल करने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से टूटकर बनी भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने आदिवासियों के हक को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है।
जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के कब्जे की मांग को लेकर बीएपी ने राजस्थान और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी खड़े करने की घोषणा की है। इसके बाद फिर गुजरात के आदिवासी इलाकों में पार्टी चुनाव लड़ेगी।
मध्य प्रदेश आदिवासी इलाके में खड़े होंगे प्रत्याशी
राजस्थान के विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर ने कहा, आदिवासियों के हकों को लेकर संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा, राजस्थान में आदिवासियों के प्रभाव वाली 17 विधानसभा सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल 47 सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए जाएंगे।उन्होंने कहा कि बीटीपी ने आदिवासियों के हितों के लिए कोईकाम नहीं किया,व इसलिए उससे अलग होकर राजस्थान और मध्यप्रदेश के आदिवासी नेताओं ने मिलकर नई पार्टी बीएपी बनाई है।
चुनाव का मुद्दा भील प्रदेश बनाना होगा
रोत ने कहा कि राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को मिलाकर एक भील प्रदेश बनाने की मुख्य मांग नई पार्टी की है। चुनाव का यही मुद्दा होगा।उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्यप्रदेश के बाद आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव में भी प्रत्याशी उतारे जाएंगे। पिछले सप्ताह डूंगरपुर के गेंजी घाटा में हुई पार्टी की बड़ी बैठक में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता शामिल हुए थे। बैठक में आरोप लगाया गया कि कांग्रेस और भाजपा ने हमेशा आदिवासियों का शोषण किया है।
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