परंपराओं और कला से भरा है बीकानेर का इतिहास, राजपूत शासकों ने निभाई थी इसके निर्माण में अहम भूमिका
राव जोधा के पांचवे पुत्र और एक राजपूत शासक राव बीका ने करणीमाता के आशिर्वाद से सन 1486 में अक्षय तृतीया/वैशाख शुक्ल तृतीया को बीकानेर की नींव रखी थी। तब से अक्षय तृतीया को बीकानेर दिवस मनाया जाता हैं।
By Ashisha Singh RajputEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 16 Jan 2023 07:03 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। राजस्थान खूबसूरत संस्कृति से भरा-पूरा राज्य है। पश्चिमी भारतीय रंगीन संस्कृति, लोक गीत और खूबसूरत नृत्य यहां की पहचान है। शाही राजवंशों, जिन्होंने यहां के क्षेत्रों पर शासन किया था, ने विभिन्न कला रूपों का संरक्षण भी किया, जो आज के समय में अनमोल विरासत बन गई है। इन सब के बीच राजस्थान का ऐसा स्थान, जो खुद में इतिहास, परंपराएं, रंग, प्रथा, वीरगाथा, संगीत, कला और स्वाद समेटे हुए है। वह शहर है बीकानेर, जो पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह है। यहां पर आपको कई शाही हवेलियां मिलेगी।
अक्षय तृतीया को मनाया जाता है बीकानेर दिवस
राव जोधा के पांचवे पुत्र और एक राजपूत शासक राव बीका ने करणीमाता के आशिर्वाद से सन 1486 में अक्षय तृतीया/वैशाख शुक्ल तृतीया को बीकानेर की नींव रखी थी। तब से अक्षय तृतीया को बीकानेर दिवस मनाया जाता हैं। जिस स्थान पर राव बीका बीकानेर बनाना चाहते थे, वह एक नेहरा जाट का था, जो राजा को जमीन देने के लिए तैयार हो गया था, कि अगर जगह का नाम उसके नाम से जोड़ा जाएगा। इसलिए इस स्थान का नाम बीकानेर रखा गया।
बीकानेर का निर्माण
बीकानेर, 15 वीं शताब्दी से पहले, जंगलदेश के नाम से जाना जाता था। तब यह राजपूतों के शासन के अधीन था। बीकानेर की स्थापना करने में करीब 23 वर्ष का समय लगा था। रावबीका को बीकानेर के राठौड़ वंश का संस्थापक माना जाता हैं। राव जोधा के पहले पुत्र होने के कारण राव बीका अपना राज्य बनाना चाहते थे, जिसके चलते बीकानेर का निर्माण किया गया।
आपको बता दें कि बीकानेर थार रेगिस्तान के बीच में था, यह एक नखलिस्तान के रूप में कार्य करता था और गुजरात तट और मध्य एशिया के बीच व्यापार मार्ग पर था। इसके अलावा, राव बीका ने 1478 ई. में इस क्षेत्र में एक किला भी बनवाया था। यह किला जूनागढ़ किले के नाम से प्रसिद्ध है।
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