Rajasthan: राजस्थान में दुर्लभ बीमारी से पीड़ित जुड़वा बच्चों का जन्म, प्लास्टिक जैसी है दोनों की स्किन
राजस्थान के बीकानेर में चार दिन पहले दुर्लभ बीमारी से पीडि़त जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ है। दोनों बच्चों की स्किन(चमड़ी) प्लास्टिक जैसी है। नाखून की तरह हार्ड कोर स्कीन फटी हुई है। ये बच्चे हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं। डा.जी.एस.तंवर सहित आधा दर्जन चिकित्सकों की टीम बच्चों के उपचार में जुटी है। इस बीमारी के साथ बच्चे डेढ़ साल तक जिंदा रह पाते हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के बीकानेर में चार दिन पहले दुर्लभ बीमारी से पीड़ित जुड़वा बच्चों का जन्म हुआ है। दोनों बच्चों की स्किन(चमड़ी) प्लास्टिक जैसी है। नाखून की तरह हार्ड कोर स्कीन फटी हुई है। ये बच्चे हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं। डा.जी.एस.तंवर सहित आधा दर्जन चिकित्सकों की टीम बच्चों के उपचार में जुटी है। इस बीमारी के साथ बच्चे डेढ़ साल तक जिंदा रह पाते हैं।
पांच लाख में से एक बच्चे में यह बीमारी पाई जाती है
चिकित्सक दोनों बच्चों की स्किन को नमी देने के लिए विटामिन-ए थेरेपी सहित पाइप से दूध फीडिंग कर रहे हैं। चिकित्सकों का दावा है कि इस तरह की दुर्लभ बीमारी के जुड़वां बच्चे पैदा होने का संभवत: यह देश में पहला मामला है। पांच लाख में से एक बच्चे में यह बीमारी पाई जाती है।दोनों बच्चों का जन्म तीन नवंबर को बीकानेर जिले के नोखा में एक निजी अस्पताल में हुआ था। इनकी स्किन नाखून के हल्के गुलाबी रंग की तरह और काफी कठोर है। इसके बीच की दरारें गहरी है। जन्म के बाद गंभीर अवस्था में दोनों बच्चों को बीकानेर के पीबीएम अस्प्ताल में भर्ती करवाया गया है।
चिकित्सकों के अनुसार हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस बीमारी ऑटोसोमल रिसेसिव जीन के जरिए बच्चे तक पहुंचती है। कई बार लोग इस बीमारी के बिना भी इसके वाहक जो सकते हैं। जैसे कि यदि माता-पिता में से किसी एक को यह जीन विरासत में मिला है तो उनमें से कोई एक या दोनों ही इस बीमारी के वाहक होंगे अर्थात माता-पिता को चाहे उनके बचपन में हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नहीं रहा हो, लेकिन आने वाले बच्चे में यह बीमारी हो सकती है।
आठ चिकित्सकों के पंजीकरण निरस्त
राजस्थान मेडिकल काउंसिल (आरएमसी)ने गलत दस्तावेज देकर स्वयं का पंजीकरण करवाने और इलाज में लापरवाही की शिकायत मिलने पर आठ चिकित्सकों के लाइसेंस निरस्त कर दिए हैं। आरएमसी के पंजीयक डॉ.गिरधर गोयल ने बताया कि शुभम गुर्जर,इंद्रराज गुर्जर,विजय सैनी,देवेंद्र सिंह,मतेंद्र सिंह गुर्जर,अभिषेक कुमार और शेख आफिर इकबाल के लाइसेंस निरस्त किए गए हैं।जानकारी के अनुसार जिन चिकित्सकों के पंजीकरण निरस्त किए गए हैं,उन सभी ने विदेश से एमबीबीएस की थी,लेकिन इन्होंने स्थानीय स्तर पर होने वाली परीक्षा पास नहीं की और फर्जी दस्तावेज पेश कर आरएमसी में पंजीकरण करवा लिया था।उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों राजस्थान के अतिरिक्त अन्य राज्यों की मेडिकल काउंसिल के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर 12वीं पास करीब एक सौ युवाओं ने आरएमसी के पदाधिकारियों से मिलीभगत कर के पंजीकरण करवा लिया था। इनमें से कुछ ने अस्पतालों में कामाकाज भी शुरू कर दिया था।
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