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Rajasthan: राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र बुधवार से, कानून व्यवस्था पर गहलोत सरकार को घेरेगी भाजपा

Rajasthan वित्त विभाग का जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 17 फरवरी को वित्त्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश कर सकते हैं। वित्त विभाग के अधिकारी बजट तैयार करने में जुटे हैं। बजट तैयारी से पूर्व सीएम गहलोत ने व्यापारिक सामाजिक महिला संगठनों के साथ बैठक कर सुझाव लिए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Mon, 08 Feb 2021 05:28 PM (IST)
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राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र बुधवार से। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र बुधवार से शुरू होगा। बजट सत्र करीब एक माह चलने की उम्मीद है। सत्र के पहले दिन राज्यपाल का अभिभाषण होगा। अभिभाषण के बाद कार्य सलाहकार समिति की बैठक में सदन की आगे की कार्यवाही तय की जाएगी। वित्त विभाग का जिम्मा संभाल रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 17 फरवरी को वित्त्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश कर सकते हैं। वित्त विभाग के अधिकारी बजट तैयार करने में जुटे हैं। बजट तैयारी से पूर्व सीएम गहलोत ने व्यापारिक, सामाजिक, महिला संगठनों के साथ बैठक कर सुझाव लिए हैं। विधानसभा सत्र के दौरान पूछे जाने वाले सवालों की तैयारी में विधायक जुटे हैं। अब तक 1400 विधायकों ने प्रश्न विधानसभा सचिवालय में प्रस्तुत किए हैं।

विधानसभा सत्र में अपनाई जाने वाली रणनीति को लेकर भाजपा विधायक दल की मंगलवार को बैठक होगी। कांग्रेस विधायक दल की बुधवार को बैठक होगी। दोनों पार्टियों के विधायक दलों की बैठक में सदन में अपनाई जाने वाली रणनीति तय होगी। पिछले दिनों हुए पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकाय चुनाव परिणाम की छाया भी सदन में नजर आएगी। इसके साथ ही कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भाजपा गहलोत सरकार को घेरने का प्रयास कर करेगी। वहीं, कांग्रेस कृषि कानूनों और किसान आंदोलन को लेकर भाजपा पर निशाना साधेगी। 

कभी एक साथ नहीं बैठ सके सभी 200 विधायक

चार माह में राजस्थान के चार विधायकों की मौत के बाद राज्य विधानसभा में सभी 200 विधायकों के एकसाथ नहीं बैठने को लेकर फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है। फरवरी के दूसरे सप्ताह से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है। इस दौरान यह मुद्दा उठ सकता है। दरअसल, राज्य विधानसभा भवन में पिछले 20 साल से सभी 200 विधायकों के एकसाथ पांच साल नहीं बैठने का संयोग चला आ रहा है। पिछले साल अक्टूबर माह में कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी, नवंबर में अशोक गहलोत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भंवरलाल मेघवाल और दिसंबर में भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी की बीमारी के कारण मौत हुई। दो दिन पहले कांग्रेस विधायक कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन हो गया। इस तरह चार माह में चार विधायकों का निधन हुआ। 200 सदस्यीय विधानसभा में अब विधायकों की संख्या 196 रह गई। करीब दो साल पहले 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। उसके बाद दो विधायक हनुमान बेनीवाल व नरेंद्र खीचड़ लोकसभा चुनाव लड़कर संसद में पहुंचे थे।

इस कारण उनके विधानसभा क्षेत्रों खींवसर और मंडावा में उप चुनाव हुए थे। इससे पहले पिछली विधानसभा में वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान भाजपा विधायक धर्मपाल चौधरी,कीर्ति कुमारी व कल्याण सिंह का निधन हुआ तो उप चुनाव कराए गए थे। वहीं 15 वीं विधानसभा में चुनाव प्रक्रिया के दौरान बसपा उम्मीदवार का निधन हो गया था। इस कारण वहां भी आम चुनाव के बाद अलग से चुनाव कराना पड़ा था। इससे पहले 2013 में भी चूरू सीट पर एक प्रत्याशी की मौत के कारण 200 के बजाय 199 सीटों पर ही चुनाव हुए थे, एक पर बाद में चुनाव कराया गया। एक बार तो ऐसा संयोग हुआ कि चार विधायकों को अलग-अलग कारणों से जेल जाना पड़ा। अब चारों विधायकों के निधन के कारण विधायकों में भय व्याप्त होता जा रहा है।

पिछले सालों में विधायकों ने विधानसभा परिसर की गंगाजल से शुद्धि कराने, हवन-पूजन कराने और वास्तु विशेषज्ञ की से राय लेने की सलाह अध्यक्ष को दी है। भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने तो एक बार जांच कमेटी बनाने तक की मांग कर दी थी। पिछली वसुंधरा राजे सरकार में मुख्य सचेतक रहे कालूलाल गुर्जर ने विधानसभा परिसर में भूत का साया बताया था। उन्होंने पूरे परिसर को गंगाजल से धूलवाने और पूजा-पाठ कराने की सलाह दी थी। तत्कालीन विधायक हबीबुर्रहमान ने एकसाथ 200 विधायकों के नहीं बैठने का कारण भूतों को बताया था।

यह है इतिहास

साल, 2000 तक विधानसभा जयपुर की चारदीवारी के अंदर रियासतकालीन टाउन हॉल में चलती थी। साल, 2001 में ज्योतिनगर में नया भवन बनकर तैयार हुआ तो विधानसभा यहां शिफ्ट हो गई। 25 फरवरी,2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण को को उद्धाटन करना था, लेकिन वे बीमार हो गए। विधानसभा के नये भवन में शिफ्ट होने के बाद से एक संयोग चला आ रहा है कि पूरे पांच साल तक सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ सके। विधानसभा शिफ्ट होने के तत्काल बाद कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भीमसेन चौधरी व भीखा भाई और फिर इसके बाद साल, 2002 में जगत सिंह दायमा व किशन मोटवानी की मौत हुई थी।

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