Organ Donation: राजस्थान में पहली बार एक शहर से दूसरे शहर में हुए ऑर्गन ट्रांसपोर्ट, 430 Km 270 मिनट में तय
Organ Donation दक्षिण राजस्थान में पहली बार ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाया गया। यह अंगदान उदयपुर के समीप नाई की रहने वाली 44 वर्षीय स्नेहलता के ब्रेन डेड घोषित हो जाने पर उनके परिवार ने किया।
By Jagran NewsEdited By: Umesh KumarUpdated: Mon, 17 Oct 2022 12:46 AM (IST)
उदयपुर, जेएनएन। उदयपुर के एक हॉस्पिटल में पहली बार केडेवेरिक अंगदान (Cadaveric Organ Donation) हुआ। जिसके लिए दक्षिण राजस्थान में पहली बार ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाया गया। यह अंगदान उदयपुर के समीप नाई की रहने वाली 44 वर्षीय स्नेहलता के ब्रेन डेड घोषित हो जाने पर उनके परिवार ने किया। अंगदान स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) द्वारा निर्धारित क्रम और नियमानुसार किया गया। रोगी को गत 12 अक्टूबर को गीतांजली हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया, जहां डॉक्टर्स की टीम द्वारा 15 अक्टूबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
डॉक्टर्स की टीम द्वारा परिवार वालों को अंगदान करने की सलाह दी गयी। परिवार वालों ने मिलकर अंगदान करने का निर्णय लिया। गीतांजली हॉस्पिटल की टीम के साथ समन्वय बनाया गया। गीतांजली हॉस्पिटल में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की टीम के सदस्यों में डॉ पंकज त्रिवेदी, डॉ. कमल किशोर बिश्नोई, डॉ संजय गाँधी, डॉ. अंकुर गाँधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ. निलेश भटनागर, डॉ. विनोद मेहता, डॉ. गोविन्द मंगल, डॉ. संजय पालीवाल की देखरेख में स्नेहलता के अंगों का दान किया गया।
430 किलोमीटर की दूरी 270 मिनट में पूरी
अंगदान के बाद अंगों को रविवार सांय 7 बजे ग्रीन कॉरिडोर द्वारा लीवर और दो किडनियों को उदयपुर से जयपुर के एस.एम.एस हॉस्पिटल, एम.जी.एम हॉस्पिटल के लिए रवाना किया गया। इस प्रक्रिया के लिए जिला पुलिस उदयपुर, चित्तोडगढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर का विशेष योगदान रहा। अंगों को 430 किलोमीटर की दूरी को लगभग 270 मिनट में पूरा किया जायेगा।स्नेहलता के नाम के लगे नारे
इसके बाद शाम 8 बजे रोगी के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक उनके परिवारजनों के साथ निवास स्थान की ओर प्रस्थान किया गया। इस मौके पर गीतांजली अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी, डॉक्टर्स, नर्सेज, परिचारक मौजूद थे| उपस्तिथ सभी जन समूह भाव विभोर हो उठा, और साथ ही अश्रुधारा बहने लगी और स्नेहलता अमर रहे के नारे लगने लगे।
परिवार वालों ने कहा- अंगदान बेहद जरूरी
अंगदाता के पति ललित कुमार दलाल ने कहा कि “वह चाहते हैं कि सब लोग अंगदान के महत्व को समझें और इसके उपयोगिता को समझे। उनके अनुसार रविवार उनकी पत्नी के अंगदान से कितने लोगों को नयी जिंदगी मिलने जा रही है। समय का कुछ नहीं पता क्या पता कब किसी को क्या ज़रूरत हो और वैसे भी भी शरीर को जलाते हैं सब अंग जल जाते हैं, ऐसे में वो किसी के काम आयें, ये ज्यादा ज़रूरी है।”अंगदाता के पुत्र मनन दलाल ने कहा कि,” जो कि स्वयं नीट की तैयारी कर रहे हैं व डॉक्टर बनना चाहते हैं, ने बताया कि उनकी बहन सुरभि दलाल दोनों ने निश्चय किया कि वह अंगदान में पूरा सहयोग देंगे क्यूंकि वो आज के युवा है। आज हर युवा को अंगदान के महत्व को समझना आवश्यक है।”गीतांजली हॉस्पिटल में अब तक लाइव डोनर के 5 किडनी ट्रांसप्लांट किये जा चुके हैं। जीएमसीएच के सी.ई.ओ श्री प्रतीम तम्बोली ने गीतांजली हॉस्पिटल के समस्त सदस्यों की ओर से अंगदाता और उनके परिवार को शत-शत नमन किया।
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