Rajasthan Election: खड़गे के सहारे राजस्थान के 17.8 फीसद दलित वोटों को साधने की कोशिश करेगी कांग्रेस
Rajasthan Assembly Election 2023 राजस्थान में करीब 13 माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सहारे प्रदेश में दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की योजना है। कांग्रेस के कार्यकर्ता आगामी दिनों में दलितों के बीच जाकर उन्हें समझाने का प्रयास करेंगे।
By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar MishraUpdated: Thu, 20 Oct 2022 04:32 PM (IST)
जयपुर, जागरण संवाददाता। Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में करीब 13 महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्तारूढ़ दल कांग्रेस (Congress) के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) के सहारे प्रदेश में दलित वोटों को अपने पक्ष में करने की योजना बना रही है। कांग्रेस के कार्यकर्ता आगामी दिनों में दलितों के बीच जाकर उन्हें यह समझाने का प्रयास करेंगे कि देश की सबसे पुरानी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष इस वर्ग से होना बड़ी बात है। ऐसे में दलितों को कांग्रेस के साथ रहना चाहिए।
राजस्थान में कराई जाएंगी खड़गे की दो सभा
प्रदेश में 17.8 प्रतिशत आबादी दलितों की है। वहीं, 27 जिलों के 34 विधानसभा क्षेत्र दलित वर्ग के लिए आरक्षित हैं। कांग्रेस ने योजना बनाई है कि जिन जिलों में दलित मतदाता ज्यादा हैं, वहां अगले महीने से लेकर चुनाव की घोषणा होने तक खड़गे की एक या दो सभा करवाई जाए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस संबंध में पार्टी के दलित नेताओं के साथ चर्चा की है। गहलोत ने कहा कि 137 साल के इतिहास में खड़गे चुनाव से निर्वाचित चौथे राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं।
गहलोत सरकार में चार कैबिनेट मंत्री दलित समाज के
सीएम गहलोत दलित वोट बैंक को साधने के लिए लंबे समय से कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने पहली बार प्रदेश में एक साथ दलित समाज के चार कैबिनेट मंत्री बनाए। इनमें महिला व बाल विकास मंत्री ममता भूपेश, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री टीकाराम जुली, सार्वजनिक निर्माण मंत्री भरोसी लाल जाटव और आपदा प्रबंधन मंत्री गोविंद राम मेघवाल शामिल है। राजनीतिक नियुक्तियों में भी दलित नेताओं को महत्व दिया गया। सीएम की योजना है कि दीपावली बाद चारों मंत्रियों, दलित समाज के विधायकों व नेताओं को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 34 विधानसभा क्षेत्रो में भेजकर गहलोत सरकार की योजनाओं के बारे में बताया जाए। दलित खड़गे को अध्यक्ष बनाए जाने का राजनीतिक लाभ उठाया जाए।ये हैं दलित समाज के लिए आरक्षित सीटें
प्रदेश में दलित समाज के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों में जायल, मेड़ता, चाकसू, बगरू, दूदू, भोपालगढ़, बिलाड़ा, अनूपगढ़, रामय सिंह नगर, बयाना, वैर, कठुमर, अलवर ग्रामीण, रेवदर, खंडार, अजमेर दक्षिण, अटरू, चोहटन, शाहपुरा, खाजूवाला, केशवरायपाटन, सूजानगढ़, सिकराय, बासेरी, पीलिबंगा, जालौर, डग, पिलानी, हिंडौन सिटी, रामगंजमंडी, सोजत, निवाई व धौंद शामिल है। इनमें से 19 सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं।
राजस्थान का विवाद बड़ी चुनौती
पिछले चार साल से गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान चल रही है। 25 सितंबर को गहलोत समर्थक विधायक आलाकमान की ओर से बुलाई गई विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे। इन विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे दिए थे। खुद खड़गे और प्रदेश प्रभारी अजय माकन पर्यवेक्षक के रूप में बैठक में पहुंचे थे। बैठक में सीएम सहित सभी प्रकरणों का निस्तारण करने का अधिकार कांग्रेस अध्यक्ष पर छोड़े जाने को लेकर प्रस्तावा पारित होना था। अब इस प्रकरण का हल करना खड़गे के लिए चुनौती होगा।यह भी पढ़ेंः राज्यवर्धन राठौर बोले, नवनिर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 'रबर स्टैंप'
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