राजस्थान में भ्रष्टाचारियों की अब खैर नहीं, Corruption करने वालों की पहचान हो सकेगी सार्वजनिक
राजस्थान में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया। भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामले में पकड़े जाने वाले सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नाम व फोटो सार्वजनिक नहीं करने का विवादित आदेश शुक्रवार को वापस ले लिया गया
जागरण संवाददाता,जयपुर। राजस्थान में भ्रष्टाचार और रिश्वत के मामले में पकड़े जाने वाले सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नाम व फोटो सार्वजनिक नहीं करने का विवादित आदेश शुक्रवार को वापस ले लिया गया है। अब भ्रष्टाचार करने वालों एवं रिश्वत लेने वालों की पहचान सार्वजनिक हो सकेगी। राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी ने खुद के द्वारा दो दिन पहले जारी किए गए आदेश को वापस लेने का परिपत्र जारी करते हुए अधिकारियों को पहले की तरफ भ्रष्टाचारियों की पहचान उजागर करने के लिए कहा है।
प्रियदर्शी के आदेश पर हुआ था काफी विवाद
दरअसल,दो दिन पहले प्रियदर्शी ने एक आदेश जारी कर निर्देश दिए थे कि आरोपित का नाम और फोटो मीडिया अथवा अन्य किसी व्यक्ति के समक्ष सार्वजनिक नहीं किया जाए। भ्रष्टाचारी के केवल पदनाम और विभाग की जानकारी दी जाए। उन्होंने जांच अधिकारी पर भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े गए कार्मिक के मानवाधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी होने के लिए भी कहा था। प्रियदर्शी के इस आदेश पर काफी विवाद हुआ था। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय,भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया सहित कई नेताओं ने सरकार पर भ्रष्टाचारियों को सरंक्षण देने का आरोप लगाया था।
भाजपा के साथ ही सरकार में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने भी इस आदेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। विवाद बढ़ा तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रियदर्शी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के चर्चा करने के बाद परिपत्र वापस लेने के निर्देश दिए ।
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