Rana Pratap Sagar Dam: चित्तौड़गढ़ के राणा प्रताप सागर बांध में भी होगा क्रूज और हाउस बोट का संचालन, पर्यटन को लगेंगे पंख
Rana Pratap Sagar Dam चित्तौड़गढ़ जिले के राणा प्रताप सागर बांध में क्रूज और हाउस बोट संचालन की अनुमति मिल चुकी है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध के अलावा चंबल नदी में क्रूज संचालन तथा हाउस बोट के प्रस्ताव मांगे हैं।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Fri, 04 Feb 2022 07:06 PM (IST)
उदयपुर, संवाद सूत्र। यहां पीछोला झील में क्रूज का संचालन भले ही खटाई में पड़ गया, लेकिन चित्तौड़गढ़ जिले के राणा प्रताप सागर बांध में क्रूज और हाउस बोट संचालन की अनुमति मिल चुकी है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध के अलावा चंबल नदी में क्रूज संचालन तथा हाउस बोट के प्रस्ताव मांगे हैं। इससे चित्तौड़गढ़ एवं कोटा संभाग में पर्यटन को पंख लगने की उम्मीद है। चित्तौड़गढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी विवेक जोशी बताते हैं पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने के लिए नदियों तथा बड़े बांधों में क्रूज व हाउस बोट के संचालन को लेकर प्रस्ताव मांगे जा रहे हैं। जिसमें रावतभाटा के राणा प्रताप सागर बांध के बैकवाटर में क्रूज व हाउस बोट संचालन भी शामिल है। इसे लिए पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने पर्यटन से जुड़े विशेषज्ञों की सहालाकर समिति का गठन किया है, जो प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा दिए जाने को लेकर काम करेगा।
रावतभाटा के लोगों को भी मिलेगा रोजगार पर्यटन अधिकारी जोशी का कहना है कि रावतभाटा के प्रताप सागर बांध में क्रूज संचालन से ना केवल जिले की, बल्कि प्रदेश की पर्यटन की दृष्टि में तस्वीर ही बदल जाएगी। इससे महज पचास किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश के गांधीसागर की पहचान अब देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में क्रूज संचालन और बोट हाउस के संचालन की वजह से मिली है। इसी तरह चित्तौड़गढ़ में भी पर्यटन को लेकर नई पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि इससे चित्तौड़गढ़ के अन्य पर्यटन स्थलों की पहचान मिलेगी, जहां अभी तक विदेशी लोगों की पहुंच नहीं बन पाई। उन्होंने बताया कि ऐसे पर्यटन स्थलों में रावतभाटा स्थित प्राचीन बाडौलिया मंदिर, पाड़ाझर झरना, पाड़ाझर माताजी, शबरी आश्रम की चंबल वैली, कोटड़ा बालाजी, श्रीपुरा, भैंसरोडगढ़ दरगाह शरीफ, भैंसरोडगढ़ का प्राचीन किला, भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के अलाव परमाणु बिजलीघर भी शामिल है। इससे रावतभाटा के लोगों को भी रोजगार का नया अवसर मिलेगा।
उदयपुर की पीछोला झील में क्रूज संचालन खटाई में उदयपुर की पीछोला झील में क्रूज संचालन खटाई में पड़ चुका है। अदालत के निर्देश पर उसे झील से बाहर निकाल दिया गया। उदयपुर के लोगों ने झील में क्रूज संचालन का विरोध किया और अदालत में वाद भी पेश कर दिया था। लोगों का कहना था कि उदयपुर की पीछोला झील इतनी विशाल और गहरी नहीं है कि यहां क्रूज का संचालन किया जा सके। पीछोला झील का पानी पेयजल सप्लाई के लिए लिया जाता है और इसकी गहराई मात्र 11 फीट है। आमतौर पर इसमें नौ फिट पानी रहता है और क्रूज छह फीट पानी में अंदर रहता है। इसके चलने से जलजीवों के जीवन पर भी असर की आशंका विशेषज्ञों ने जताई थी, जिसके बाद अदालत ने इसके संचालन पर रोक लगा दी। हालांकि झील में क्रूज के उतारने से पहले उसके संचालक ने ना तो परिवहन के लिए लाइसेंस लिया था और ना ही पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र।
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