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राजसमंद के राजेंद्र सिंह के आविष्कार एंटी-ड्रोन सिस्टम से रक्षामंत्री प्रभावित,सेना में शामिल की जा सकती तकनीक

एंटी-ड्रोन सिस्टम की कीमत भी महज पांच लाख रुपए ही है। राजेंद्र का कहना है कि भारत से जुड़ी पाकिस्तान की सीमाओं से सटे राज्यों जैसे कि राजस्थान पंजाब गुजरात जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से जासूसी और तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: PRITI JHAUpdated: Mon, 31 Oct 2022 12:43 PM (IST)
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राजसमंद के राजेंद्र सिंह के आविष्कार एंटी-ड्रोन सिस्टम से रक्षामंत्री प्रभावित,सेना में शामिल की जा सकती तकनीक

उदयपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के राजसमंद जिले के राजेन्द्र सिंह के आविष्कार से देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी प्रभावित हो चुके हैं। उसके तैयार एंटी-ड्रोन सिस्टम तकनीक को सेना में भी शामिल किया जा सकता है।

गुजरात में हुई 'रक्षा प्रदर्शनी' में राजसमंद जिले के काछबली गांव के 24 वर्षीय राजेंद्र सिंह ने अपनी तकनीक से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को परिचित कराया। उसके द्वारा तैयार एंटी-ड्रोन सिस्टम को देखने के बाद राजनाथ सिंह ने राजेंद्र को ना केवल सम्मानित किया, बल्कि उसकी तकनीक को भारतीय सेना में शामिल किए जाने को लेकर संभावना जताई।

राजेंद्र सिंह का कहना है कि उसके द्वारा तैयार एंटी-ड्रोन सिस्टम दो मल्टीपल वाइड एंगल वाले कैमरों से लैस है। जिससे ना केवल वह अपने चारों तरफ निगरानी करने में सक्षम है। बल्कि अपने आस-पास उड़ने वाले अवैध ड्रोन का पता लगाकर कंट्रोल रूम काे सूचना भी भेजता है। जिसके बाद वहां से अवैध ड्रोन को पकड़ने के लिए एडवांस्ड ड्रोन उड़ान भरते सकते हैं, जो अवैध ड्रोन को कुछ ही मिनटों में जाल फैलाकर उसे फंसाकर कंट्रोल रूम तक ले आते हैं।

राजेंद्र ने बताया कि उसके द्वारा तैयार एंटी-ड्रोन सिस्टम की कीमत भी महज पांच लाख रुपए ही है। राजेंद्र का कहना है कि भारत से जुड़ी पाकिस्तान की सीमाओं से सटे राज्यों जैसे कि राजस्थान, पंजाब, गुजरात, जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से जासूसी और तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में उसके द्वारा एडवांस एंटी-ड्रोन सिस्टम की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। वह इस सिस्टम को और ज्यादा एडवांस्ड बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

अभी तक बीएसएफ और अन्य सुरक्षा बल अवैध ड्रोन को पकड़ने के लिए रडार सिस्टम का उपयोग करते हैं और ड्रोन की लॉकेशन पता चलने पर जवान राइफल से फायरिंग कर ड्रोन पर निशाना साधते हैं, इस तकनीक में कई बार ड्रोन बचकर निकल जाता है। जबकि उसके द्वारा तैयार ड्रोन अवैध ड्रोन को जाल में फंसाकर ले आएगा। उल्लेखनीय है कि प्रारंभिक शिक्षा राजसमंद और उदयपुर से करने के बाद राजेंद्र सिंह कर्नाटक चला गया था और उच्च शिक्षा वहीं से ग्रहण की। 

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