Rajasthan: भील प्रदेश की मांग होगा चुनावी मुद्दा, आदिवासियों में चलाया जा रहा अभियान
राजस्थान में करीब 8 महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के लिए नेताओं ने भील प्रदेश की मांग तेज कर दी है। आदिवासी बहुल राजस्थान के 8 गुजरात के 10 मध्यप्रदेश के 7 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग हो रही है।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Thu, 16 Mar 2023 11:33 AM (IST)
नरेंद्र शर्मा, जयपुर। राजस्थान में करीब आठ महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के लिए नेताओं ने भील प्रदेश की मांग तेज कर दी है। आदिवासी बहुल राजस्थान के 8, गुजरात के 10 और मध्यप्रदेश के 7 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है। आदिवासी नेता अलग से भील प्रदेश को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में जुटे हैं।
राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र समाप्त होने के बाद आदिवासियों के प्रमुख धार्मिक स्थल बेणेश्वर धाम में भील प्रदेश के मुददे पर पंचायत बुलाने की तैयारी की जा रही है। भारतीय ट्राइबल पार्टी के विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद ने आदिवासी को एकजुट कर भील प्रदेश बनाने की मांग को लेकर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है।
राजस्थान के दोनों विधायकों के साथ ही मध्यप्रदेश में रतलाम से कांग्रेस के पूर्व सांसद दिलीप सिंह भूरिया सहित कई नेता अलग भील प्रदेश के समर्थन में हैं। बीटीपी की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष वेलाराम घोगरा ने कहा कि आजादी के बाद राजनीतिक पार्टियों ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों को विभाजित कर दिया है। जिससे आदिवासी संगठित नहीं हो सके।
उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 244 1 के तहत पांचवी अनुसृचि में आदिवासियों के हितों के लिए कई प्रावधान थे लेकिन सत्ताधारी दलों ने आदिवासियों के हितों के लिए कोई ठोस काम नहीं किया।
घोघरा ने कहा कि साल 2017 में बीटीपी अलग भील प्रदेश की मांग और आदिवासियों के जल और जंगल पर हक की मांग को लेकर राजस्थान में सक्रिय हुई। गुजरात के आदिवाासियों में तो पहले से ही बीटीपी सक्रिय थी लेकिन राजस्थान के आदिवासियों को एकजुट करने के लिए पिछले पांच साल से काम हो रहा है।
विधायक रोत ने कहा कि आदिवासी युवाओं का कांग्रेस और भाजपा दोनों से ही विश्वास उठ रहा है। ऐसे में युवा बीटीपी के साथ जुड़ रहे हैं। रोत ने पिछले दिनों विधानसभा में अलग से भील प्रदेश का मुददा उठाते हुए कहा आदिवासियों की सरकार और निर्वाचित प्रतिनिधि ही इस समुदाय का उत्थान कर सकते हैं।
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