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राजस्थान के मानगढ़ धाम से उठी भील प्रदेश बनाने की मांग, महारैली में जुटे ये चार राज्य; आदिवासी नेताओं ने रखी यह मांग

राजस्थान के आदिवासी समुदाय ने भील प्रदेश नाम से एक नए राज्य के गठन की मांग की है जिसे राज्य सरकार पहले ही खारिज कर चुकी है। आदिवासी समाज ने राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात और मध्य प्रदेश के 49 जिलों को मिलाकर नए राज्य के गठन की मांग कर रही है। इसको लेकर भील समाज के समर्थक महारैली का आयोजन कर रहे हैं।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Thu, 18 Jul 2024 10:27 PM (IST)
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राजस्थान से भील प्रदेश बनाने की मांग उठी (फोटो- ऑनलाइन )
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम से गुरुवार को चार राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने की मांग फिर जोरों से उठी। भील समाज की संस्था आदिवासी परिवार सहित 35 संगठनों की ओर से आयोजित महारैली में चारों राज्यों से आदिवासी समाज के हजारों लोग मानगढ़ धाम पहुंचे।

बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के सांसद राजकुमार रोत के अलावा आदिवासी परिवार की संस्थापक सदस्य मेनका डामोर ने मंच से कहा कि हम आदिवासी हिंदू नहीं हैं। आदिवासी महिलाएं पंडितों के बताए अनुसार न चलें। महिलाएं शिक्षा पर फोकस करें और व्रत-उपवास बंद कर दें। रैली में प्रस्ताव पारित कर अलग से भील प्रदेश बनाने की मांग केंद्र सरकार को भेजी गई। साथ ही, राजस्थान सरकार से आदिवासी क्षेत्र का विकास करने की मांग भी की गई।

महारैली को लेकर प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर रहीं। महारैली वाले इलाके में इंटरनेट बंद किया गया था। कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा के ²ष्टिकोण से वाहनों को मानगढ़ धाम से पांच किलोमीटर पहले ही रोका गया।

आदिवासी समाज की प्रमुख मांगें

आदिवासी नेताओं ने महारैली में अपनी प्रमुख मांगें गिनाईं। इनमें चार राज्यों के 49 जिलों को मिलाकर भील प्रदेश बनाने के अलावा जनजातीय क्षत्रों में संविधान की पांचवीं अनुसूची लागू करने, जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी समाज को आरक्षण देने, बेणेश्वर की 80 प्रतिशत जमीन आदिवासियों के नाम करने के साथ बांसवाड़ा जिले के जगपुरा-भूकिया में सोने की खदानों की नीलामी निरस्त करने की मांग शामिल है।

इन जिलों को मिलाकर अलग प्रदेश की है मांग

जिन जिलों को मिलाकर भीम प्रदेश बनाने की मांग है, उनमें प्रमुख रूप से राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, बाड़मेर, जालौन, सिरोही, उदयपुर, झालावाड़, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, बारां, पाली, मध्य प्रदेश के इंदौर, गुना, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, देवास, खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी, आलीराजपुर, महाराष्ट्र के नासिक, ठाणे, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार और गुजरात के अरवल्ली, महीसागर, दाहोद, पंचमहल, सूरत, वडोदरा, तापी, नवसारी, छोटा उदेपुर, नर्मदा, साबरकांठा, बनासकांठा, भरूच और वलसाड़ जिले हैं।

राजस्थान के मंत्री ने किया मांग को खारिज

उधर, राजस्थान के आदिवासी कल्याण मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि अलग से भील प्रदेश को लेकर राज्य सरकार कोई प्रस्ताव केंद्र को नहीं भेजेगी। भाजपा सरकार सामाजिक समरसता में विश्वास रखती है। राज्य सरकार ने बजट में आदिवासियों के विकास के लिए 1500 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है।

विधानसभा में भी उठा मुद्दा

कांग्रेस के आदिवासी विधायक गणेश घोघरा ने गुरुवार को विधानसभा में भील प्रदेश की मांग उठाई। उन्होंने आदिवासियों के लिए अलग से कोड लागू करने की भी मांग की। बीएपी के विधायक थावरचंद ने कहा कि भील प्रदेश हमारा अधिकार है। वह भील प्रदेश लिखी टी-शर्ट पहनकर विधानसभा पहुंचे थे। उधर, आदिवासियों को हिंदू बताते हुए उनका डीएनए टेस्ट करवाने का बयान देने के बाद विवाद में आए राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मदन दिलावर ने विधानसभा में माफी मांग ली। माफी मांगने के बाद विपक्ष ने उनका बहिष्कार खत्म कर दिया।

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