Farmers Protest: किसानों की राय, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से भविष्य के लिए निश्चिंत होंगे
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) को लेकर एक तरफ जहां आंदोलन कर रहे किसान संगठन कई तरह की आशंकाए जता रहे हैं वहीं राजस्थान में अधिक खेती वाले बीकानेर झुंझुनूं व नागौर जिलों के किसानों का मानना है कि इससे किसानों को अपनी फसल का तयशुदा मूल्य मिल जाता है।
By PRITI JHAEdited By: Updated: Wed, 17 Feb 2021 11:54 AM (IST)
जयपुर, जागरण संवाददाता। कृषि कानूनों को लेकर कुछ किसान संगठन आंदोलन कर रहे हैं। किसान आंदोलन का राजस्थान में कोई खास असर नजर नहीं आता। इसी बीच कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) को लेकर एक तरफ जहां आंदोलन कर रहे किसान संगठन कई तरह की आशंकाए जता रहे हैं, वहीं राजस्थान में अधिक खेती वाले बीकानेर, झुंझुनूं व नागौर जिलों के किसानों का मानना है कि इससे किसानों को अपनी फसल का तयशुदा मूल्य मिल जाता है। इससे अगली फसल के लिए धन जुटाने की समस्या नहीं रहती और जीवनयापन भी सुगम हो जाता है।
हालांकि, आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का मानना है कि अनुबंध के तहत खेती करने से किसान को अपनी फसल का बाजार के हिसाब से दाम नहीं मिल पाएगा और जो भी फायदा होगा वह अनुबंधकर्ता के हिस्से में चला जाएगा। अजमेर जिले के किशनगढ़ निवासी किसान रामचंद्र गुर्जर का कहना है कि वर्तमान समय में खेती करना घाटन व जोखिम का काम होता जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान चाहता है कि उसे अपनी फसल का न केवल उचित मूल्य मिले, बल्कि पर्याप्त फायदा भी मिले।
गुर्जर ने कहा कि कई बार मौसम की मार के कारण तो कई बार अन्य कारणों से फसल खराब हो जाती है। ऐसे में किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती है। किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलता। किसान कर्ज लेकर खेती करता है, लेकिन कई बार फसल खराब होने से वह परेशान हो जाता है। पिछले कुछ सालों में कोटा संभाग में किसानों की आत्महत्याओं के कई मामले सामने आए थे। ऐसी परिस्थिति में अगर कोई किसान की आने वाली फसल का पहले ही एक तय कीमत पर अनुबंध कर ले तो उसकी समस्या का समाधान हो जाएगा।
बीकानेर जिले के देशनोक निवासी हनुमान सिंह ने कहा कि अनुबंध पर खेती से किसान कुछ हद तक भविष्य के प्रति निश्चिंत हो जाएगा। ज्यादा जोखिम नहीं उठाने वाले किसान अपनी जमीन को एक निश्चित मूल्य पर किसी अन्य को अनुबंध पर देकर निश्चिंत हो सकता है। वर्तमान में बीकानेर जिले में कई किसान अनुबंध पर खेती कर रहे हैं। दौसा जिले के आलूदा गांव निवासी मुकेश कुमार शर्मा का कहना है कि अनुबंध पर खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा है, क्योंकि इससे उन्हे अपनी उपज के लिए परेशानी मुक्त उत्पादन मिलेगा।
शर्मा के 10 बीघा का खेत है। उनका कहना है कि अनुबंध खेती से फसल की बिक्री को लेकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसके साथ ही फसल खराब होने पर बीमा का लाभ भी मिल सकेगा। कीमतों में उतार-चढ़ाव के खतरे से किसान सुरक्षित होगा। जयपुर जिले के चौमू निवासी रामलाल जाट का कहना है कि अनुबंध खेती से किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इससे वे अपनी उपज को अच्छी कीमत पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। इससे बिचौलियों की समस्या भी खत्म होगी। मूल्य पहले से तय होने के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम से मुक्ति मिलेगी।
कुछ बोले नुकसान होगाहनुमानगढ़ जिले के नोहर निवासी श्रवण तंवर का कहना है कि अनुबंध खेती के तहत किसानों को अल्पकालिक लाभ होगा, लेकिन दीर्घकालिक नुकसान होगा। अनुबंधकर्ता पर निर्भरता रहेगी। किसान मोल-भाव नहीं कर सकेगा। नागौर निवासी राजेंद्र सैन ने कहा कि किसान मोल-भाव नहीं कर सकेगा। विवाद होने पर किसान कोर्ट में भी नहीं जा सकेगा, यह सबसे बड़ी मुश्किल होगी।
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