Move to Jagran APP

Rajasthan : राजस्थान के सीमावर्ती जिले के 50 मुस्लिम परिवार के 250 लोगों ने अपनाया हिन्‍दू धर्म

सीमावर्ती जिले के 50 मुस्लिम परिवारों ने अपनाया हिंदू धर्म-250 लोगों ने हवन करने के साथ ही खुद को बताया हिंदू

By Preeti jhaEdited By: Updated: Thu, 06 Aug 2020 02:12 PM (IST)
Rajasthan : राजस्थान के सीमावर्ती जिले के 50 मुस्लिम परिवार के 250 लोगों ने अपनाया हिन्‍दू धर्म
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन के बाद हर तरफ उत्साह का माहौल है। पाकिस्तान सीमा से सटे राजस्थान के बाड़मेर जिले में बुधवार से ही लोगों ने जश्न मनाना शुरू किया जो गुरुवार को भी जारी रहा। राम मंदिर के भूमि पूजन के मौके पर बाड़मेर जिले के पायला कल्ला पंचायत समिति के मोतीसरा गांव में रहने वाले 50 मुस्लिम परिवारों ने हिंदू धर्म अपनाया है। इन परिवारों के करीब 250 लोगों ने बुधवार को हवन-पूजन किया और पुरुषों ने जनेऊ धारण कर हिंदू धर्म अपनाया।

गुरुवार को इन परिवारों ने भगवान राम और हनुमान जी की तस्वीर के समक्ष पूजा-अर्चना की। हिन्‍दू धर्म अपनाने वाले परिवारों के बुजुर्गों का कहना है कि उनके पूर्वज हिन्‍दू थे। लेकिन कई पीढ़ियों पहले दबाव में हम लोगों ने मुस्लिम धर्म अपना लिया था। वैसे हिंदू धर्म के कई त्योहार शुरू से ही मनाते रहे हैं। अब इतिहास का ज्ञान का होने के बाद उन्होंने बिना किसी के दबाव के स्वेच्छा से हिन्‍दू धर्मग्रहण किया है। ये परिवार कंचन ढाढी जाति (समारोह में ढोल बजाने वाले) से संबंध रखते हैं।

सरपंच को बताकर किया हवन और धर्म परिवर्तन

हिन्‍दू धर्म अपनाने वाले सुभनराम, मेघराम व जगन ने बताया कि मुगलकाल में मुस्लिमों ने हमारे पूर्वजों को डरा धमकाकर मुस्लिम बनाया था, लेकिन हम हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते थे। सीमावर्ती जिले के मुसलमान हम लोगों से दूरी रखते हैं। इनका कहना है कि इतिहास की जानकारी होने के बाद हमने इस चीज के ऊपर गौर किया कि हम हिंदू हैं और हमें वापस हिंदू धर्म में जाना चाहिए। हमारे रीति रिवाज पूरे हिंदू धर्म से संबंध रखते हैं। इसी के बाद सभी ने हिंदू धर्म में वापसी की इच्छा जताई। कई दिनों तक विचार-विमर्श कर यह तय किया कि राम मंदिर के भूमि पूजन के दिन हम हिंदू धर्म अपनाएंगे या यूं कहें वापसी करेंगे तो हमने ऐसा ही किया।

गांव के हरजीराम के अनुसार, ढाढ़ी जाति से ताल्लुक रखने वाले ये परिवार पिछले कई सालों से हिंदू रीति रिवाजों का पालन कर रहे थे। विंजाराम ने बताया कि हम ईद पर केवल औपचारिकता निभाते थे, लेकिन दीपावली का त्योहार काफी उत्साह से मनाते रहे हैं। राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के शिलान्यास के समारोह पर हम सभी ने गांव के सरपंच को बताकर हवन पूजा पाठ का कार्यक्रम रखा और हिंदू संस्कृति का पालन करते हुए हमने अपनी स्वेच्छा से घर वापसी की है। हमारे ऊपर कोई दबाव नहीं है। रधुपत का कहना है कि हम नाममात्र के मुस्लिम थे, गांव के मंदिर में हम नियमित रूप से दर्शन करते रहे हैं। परिवार में सभी के नाम हिंदू धर्म के हैं। उन्होंने बताया कि औरंगजेब के समय उनके पूर्वज हिंदू थे और दवाब के चलते पूर्वजों ने मुस्लिम धर्म को अपना लिया था, लेकिन अब परिवार के शिक्षित युवकों को इसका ज्ञान हुआ तो पूरे परिवार ने सहमति से बिना किसी दबाव में आकर हिंदू धर्म को अपना लिया।

गांव ने फैसले का सम्मान किया

हरुराम ने कहा कि राम मंदिर के शिलान्यास पर हमें बहुत खुशी हुई और हमने अपने घरों में दीपक जलाए। गांव के पूर्व सरपंच प्रभुराम कलबी ने बताया कि ढाढ़ी जाति के परिवार के सदस्यों ने बिना किसी दबाव और अपनी इच्छा से हिंदू धर्म में वापसी की है। संविधान के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है। इसमें किसी को कोई आपत्ति भी नहीं है। पूरे गांव ने इनके इस फैसले का सम्मान किया है। इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों से बात की गई तो सभी का कहना है कि जबरन धर्म परिवर्तन अगर होता है तो मामला हमारे पास आता है। वैसे कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को अपनाने अथवा पूजा-अर्चना के लिए स्वतंत्र है। 

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।