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Rajasthan: आइएएस अफसरों के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने से राजस्थान का सरकारी कामकाज प्रभावित

Rajasthan जयपुर उदयपुर व अलवर जैसे बड़े जिलों में कलेक्टर पद पर राज्य सेवा से पदोन्नत होकर आइएएस बनने वालों को लगाए जाने से यूपीएससी परीक्षा पास कर सेवा में आने वाले अफसरों में नाराजगी है। इस कारण भी ये अब प्रदेश में रहने के इच्छुक नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sat, 26 Dec 2020 03:27 PM (IST)
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केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रहे आइएएस अफसरों से राजस्थान का सरकारी कामकाज प्रभावित। फाइल फोटो
जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan: राजस्थान में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) अफसरों के केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने के कारण सरकारी कामकाज में काफी मुश्किल हो रही है। प्रदेश में दो साल पहले सत्ता परिवर्तन के साथ ही आइएएस अफसरों का केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने का सिलसिला शुरू हुआ था, जो अब भी जारी है। इनमें से कुछ अधिकारी तो वे हैं, जो पिछली वसुंधरा राजे सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज थे, जिनसे सीएम अशोक गहलोत नाराज थे। वहीं, कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो यहां कम महत्व का पद मिलने के कारण दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर चले गए। जयपुर, उदयपुर व अलवर जैसे बड़े जिलों में कलेक्टर पद पर राज्य सेवा से पदोन्नत होकर आइएएस बनने वालों को लगाए जाने से यूपीएससी परीक्षा पास कर सेवा में आने वाले अफसरों में नाराजगी है। इस कारण भी ये अब प्रदेश में रहने के इच्छुक नहीं है।

एक दर्जन अफसर तो प्रदेश से दिल्ली जा चुके और आधा दर्जन कतार में हैं। सरकार में हालात यह हो गए कि सचिवालय में मात्र एक अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह बचे हैं। दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने वालों में वसुंधरा राजे के सचिव रहे तन्मय कुमार, वरिष्ठ आइएएस संजय मल्होत्रा, आलोक, नीलकमल दरबारी, रजत मिश्रा, नरेश पाल गंगवार, रोहित कुमार, राजीव सिंह ठाकुर, अंबरीश कुमार, आनंदी, रोली सिंह और विष्णु चरण मलिक शामिल है। वहीं, प्रवीण गुप्ता, शिखर अग्रवाल, सिद्धार्थ महाजन व रोहित कुमार सिंह ने भी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए आवेदन कर रखा है। आइएएस अधिकारियों की कमी के कारण 12 अफसरों के पास अपने मूल विभाग के अतिरिक्त एक या इससे अधिक अन्य विभाग का कार्यभार है। अतिरिक्त कार्यकार के कारण सरकारी कामकाज के निपटारे में मुश्किल हो रही है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में आइएएस अधिकारियों का कैडर 313 का है, लेकिन वर्तमान में 247 ही कार्यरत है। कैडर के हिसाब से प्रदेश को जो अफसर मिलने चाहिए वे केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय से नहीं मिल पा रहे हैं। 

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