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'देवताओं को नहीं मानने की शपथ,' भरतपुर सामूहिक विवाह सम्मेलन में हिंदू विवाहित जोड़ों ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया

राजस्थान में भरतपुर जिले का मामला सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाया गया। नव विवाहित जोड़ों का सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन करवाया गया। इन्होंने हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म ग्रहण किया। सभी को हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाने की 22 शपथ दिलाई गई।

By Jagran NewsEdited By: PRITI JHAUpdated: Tue, 22 Nov 2022 02:55 PM (IST)
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'देवताओं को नहीं मानने की शपथ,' भरतपुर सामूहिक विवाह सम्मेलन में हिंदू विवाहित जोड़ों ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में भरतपुर जिले के कुम्हेर में संत रविदास सेवा समिति की तरफ से आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में नव विवाहित जोड़ों को हिंदू देवी-देवताओं की पूजा नहीं करने को लेकर शपथ दिलाई गई। विश्व हिंदू परिषद सहित अन्य संगठनों ने इस शपथ पर नाराजगी जताते हुए आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

वहीं, प्रशासन इस तरह की शपथ दिलाए जाने की जानकारी होने से इनकार कर रहा है। हालांकि सामूहिक विवाह सम्मेलन में उपखंड अधिकारी सहित कुछ अन्य अफसर शामिल हुए थे। लेकिन उनके जाने के बाद शपथ दिलाने की बात सामने आई है।

हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म ग्रहण

जानकारी के अनुसार रविवार को सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का सामूहिक विवाह करवाया गया। इस मौके पर नव विवाहित जोड़ों का सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन करवाया गया। इन्होंने हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म ग्रहण किया। सभी को हिंदू धर्म त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाने की 22 शपथ दिलाई गई।

मालूम हो कि इस मौके पर बौद्ध धर्म के प्रमुख विद्ववान और संत रविदास सेवा समिति के पदाधिकारी मौजूद थे। इस संबंध में समिति के पदाधिकारी शंकर लाल से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि सामूहिक विवाह के माध्यम से संदेश दिया गया कि शादी समारोह में बेवजह का खर्चा नहीं किया जाना चाहिए।

समाज की 22 प्रतिज्ञाएं दिलवाई गई

उन्होंने कहा कि समाज की 22 प्रतिज्ञाएं दिलवाई गई। ये प्रतिज्ञाएं बौद्ध धर्म का कवच हैं। बौद्ध धर्म को शुद्ध रखने के लिए ये प्रतिज्ञाएं दिलाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि हम संत रविदास, भगवान बुद्ध और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के रास्ते पर चलकर ही इस तरह का आयोजन करते हैं।

विहिप ने किया विरोध

विश्व हिंदू परिषद के भरतपुर जिला अध्यक्ष लाखन सिंह ने कहा कि इस तरह से धर्म परिवर्तन करवाना गलत है। समारोह में अधिकारी मौजूद थे। उनके जाने के बाद सार्वजनिक कार्यक्रम में खुले मंच से विवादित शपथ दिलवाई गई।

विवादित शपथ दिलाना कानून के खिलाफ

हिंदू धर्म त्यागकर लोगों ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। धर्म परिवर्तन करवाना देश की अखंडता के लिए खतरा है। भरतपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यशंवत सिंह फौजदार ने कहा कि विवादित शपथ दिलाना कानून के खिलाफ है।

पिछले दो महीने में धर्म परविर्तन की घटनाएं 

उधर कुम्हेर की उपखंड अधिकारी वर्षा मीणा ने कहा कि मुझे कार्यक्रम की जानकारी नहीं है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो महीने में जयपुर, अलवर और भीलवाड़ा जिलों में धर्म परविर्तन की घटनाएं हुई है।

ये शपथ दिलाई गई

समारोह में शपथ दिलाई गई कि मैं ब्रहम्मा, विष्णु,महेश को कभी ईश्वर नहीं मानूंगा। न ही इनकी पूजा करूंगा। मैं राम को ईश्वर नहीं मानूंगा और न ही पूजा करूंगा। मैं गौरी, गणपत आदि हिंदू धर्म के देवी-देवताओं को ईश्वर नहीं मानूंगा तथा बुद्ध की पूजा करूंगा। ईश्वर ने अवतार लिया है, जिस पर मेरा विश्वास नहीं है। मैं ऐसी प्रथा को पागलपन और असत्य समझता हूं। मैं कभी पिंड दान नहीं करूंगा। मैं बौद्ध धर्म के विरोध में कभी कोई बात नहीं करूंगा। यह शपथ बौद्ध धर्म के दो लोगों ने दिलवाई। सोमवार शाम को इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा हुआ।

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