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Rajasthan: अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा, हिंदू सेना ने अदालत में दायर की याचिका

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दी गई याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था। वहां पूजा और जलाभिषेक होता था। साथ ही अजमेर निवासी हर विलास शारदा द्वारा वर्ष 1911 में लिखी एक पुस्तक का हवाला दिया गया जिसमें दरगाह के स्थान पर मंदिर का उल्लेख है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 26 Sep 2024 05:45 AM (IST)
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अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा, हिंदू सेना ने अदालत में दायर की याचिका

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में पूर्व में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू सेना ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका पेश की, जिसे न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने यह कहकर सुनवाई से इनकार कर दिया कि यह उनके क्षेत्राधिकार से बाहर है, सक्षम न्यायालय में याचिका पेश की जाए। उन्होंने जिला न्यायाधीश के समक्ष याचिका प्रस्तुत करने को कहा।

हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दी गई याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था। वहां पूजा और जलाभिषेक होता था। अजमेर निवासी हर विलास शारदा द्वारा वर्ष 1911 में लिखी एक पुस्तक का हवाला दिया गया, जिसमें दरगाह के स्थान पर मंदिर का उल्लेख है।

याचिका में कही ये बात

यह भी कहा गया कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट लंबे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के अंश है। यहां के तहखाने में गर्भगृह होने का प्रमाण है। याचिका में कहा गया है कि दरगाह का एएसआइ सर्वे कराने के बाद हिंदू मंदिर घोषित किया जाए, दरगाह में भगवान संकट मोचन महादेव को विराजमान किए जाने और हिंदू रीति रिवाज से पूजा-पाठ करने की अनुमति दी जाए।

दरगाह को गैर कानूनी बताते हुए दरगाह कमेटी के अनधिकृत कब्जे को हटाने की भी मांग की गई है। हिंदू सेना ने दरगाह की बनावट और शिव मंदिर के प्रमाण के संबंध में भी साक्ष्य पेश किए हैं। याचिका में केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और दरगाह कमेटी को भी पक्षकार बनाया गया है। वकील शशि रंजन कुमार का कहना है कि शाहजहां के समय की पुस्तकें व अकबरनामा आदि में अजमेर में किसी मस्जिद और दरगाह का प्रमाण नहीं है।

दरगाह कमेटी ने जताई आपत्ति

हिंदू सेना की याचिका पर दरगाह की ओर से आपत्ति जताई गई है। अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीं परिषद के अध्यक्ष व दरगाह दीवान सैयद जैनुल आबेदीन के उत्तराधिकारी नसरूद्दीन चिश्ती और दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जागदान के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि अगर धार्मिक स्थलों पर झूठी और बेबुनियाद साजिश रची गई तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम इसका जवाब देंगे।

आगे कहा कि इतिहास पर नजर डालें तो दरगाह ख्वाजा साहब को लेकर कभी आपत्ति नहीं जताई गई। मुगलों से लेकर खिलजी और तुगलक, हिंदू राजाओं, राजपूत राजाओं और यहां तक कि मराठों ने भी दरगाह को बड़े सम्मान के साथ देखा और अपनी आस्था व्यक्त की।