Rajasthan: आईआईटी जोधपुर ने रिसर्च के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि की हासिल अपनी लेब में बनाया नैनो टाइटेनियम डाइऑक्साइड
देश में पहली बार इसे किसी लैब में तैयार किया गया है। इस फॉर्मूले को अब देश की कंपनियों को दिया जाएगा जिससे इसका प्रॉडक्शन शुरू हो सके। इस संबंध में की गई रिसर्च का आईआईटी जोधपुर ने पेटेंट भी करवा लिया है।
जोधपुर। संवादसूत्र। IIT Jodhpur : जोधपुर आईआईटी ने रिसर्च के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए नैनो टाइटेनियम डाइऑक्साइड को अपनी लैब में तैयार कर दिखाया है। नैनो टाइटेनियम डाइऑक्साइड सनस्क्रीन, पैक्ड फूड व अन्य कॉस्मेटिक उत्पादों के अलावा दवाओं में उपयोग में आता है ।
देश में पहली बार इसे किसी लैब में तैयार किया गया है। इस फॉर्मूले को अब देश की कंपनियों को दिया जाएगा , जिससे इसका प्रॉडक्शन शुरू हो सके। इस संबंध में की गई रिसर्च का आईआईटी जोधपुर ने पेटेंट भी करवा लिया है। आईआईटी जोधपुर के केमिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ राकेश शर्मा ने एक रिसर्च कर नैनो टाइटेनियम डाई ऑक्साइड को लैब में तैयार किया है। इस संबंध में वे काफी समय से रिसर्च में लगे हुए थे ।
प्रो . राकेश शर्मा ने बताया कि यह इनोवेशन भारतीय उद्योगों को मेक इन इंडिया के लिए बढ़ावा देगा। नैनोपार्टिकल टाइटेनियम डाइऑक्साइड बाजार को डाइज, पेंट और कोटिंग्स, फूड एडिसिव , कॉस्मेटिक्स , प्लास्टिक और सोलर सेल्स आदि में वर्गीकृत किया गया है। डाई में इसका उपयोग उत्पादों को एक निश्चित अपीयरेंस में बदलने तथा सफेद करने में होता है।
वहीं, खाद्य निर्माता नैनो टाइटेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग फूड के पानी को अवशोषित करने और नमी को जमने या खराब होने से बचाने के लिए करते हैं। टाइटेनियम डाइऑक्साइड को आम घरेलू और औद्योगिक उत्पादों में भी काम लेते हैं, जैसे कि प्रिंटिंग इंक, कोटेड कपड़े और टेक्सटाइल के साथ ही सिरेमिक में। सनस्क्रीन में इसका उपयोग यूवी फिल्टरिंग घटक के रूप में भी किया जाता है । यह सूर्य की खतरनाक यूवी किरणों से त्वचा को बचाती है तथा सनबर्न एवं स्किन कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में योगदान करती है।