राजस्थान में अब जाति प्रमाण पत्र में पिता के नाम की बाध्यता समाप्त
राजस्थान में अब अनुसूचति जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी ) अन्य पिछड़ा वर्गऔर आर्थिक रूप से पिछड़ों के जाति प्रमाण-पत्र जारी कराने में पिता के नाम की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। पिता के स्थान पर मां के नाम से भी जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जा सकेगा।
By Priti JhaEdited By: Updated: Tue, 26 Oct 2021 03:47 PM (IST)
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में अब अनुसूचति जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी ),अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ों के जाति प्रमाण-पत्र जारी कराने में पिता के नाम की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। पिता के स्थान पर मां के नाम से भी जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जा सकेगा ।
इस मामले में मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्ताव मंजूर करने के बाद सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। नए प्रावधान के अनुसार तलाकशुदा, विधवा और परित्याक्ता महिलाओं के बच्चों के जाति प्रमाण-पत्र में उनके पिता के स्थान पर मां का नाम लिखा जा सकेगा। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के प्रमाण-पत्र में आय की गणना सबसे बड़ा आधार होता है। राजस्थान में अब अनुसूचति जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी ), अन्य पिछड़ा वर्गऔर आर्थिक रूप से पिछड़ों के जाति प्रमाण-पत्र जारी कराने में पिता के नाम की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। पिता के स्थान पर मां के नाम से भी जाति प्रमाण-पत्र जारी किया जा सकेगा।
इन मामलों में तलाकशुदा महिला की आय के आधार पर बच्चों के प्रमाण-पत्र जारी हो सकेंगे। जब तक किसी महिला का तलाक नहीं होता तब तक उनकी आय में पति की आमदनी भी जोड़ी जाएगी। उसके आधार पर ही आय प्रमाण-पत्र जारी हो सकेंगे। उल्लेखनीय है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, सरकारी नौकरी में आवेदन करने के लिए जाति प्रमाण-पत्र की आवश्यक्ता होती है।
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