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ISKCON Chittorgarh:मेवाड़ यूनिवर्सिटी में देश-विदेश के सात हजार से अधिक विद्यार्थियों को मिलेगा गीता का ज्ञान

मेवाड़ यूनिवर्सिटी प्रमुख अशोक गदिया ने यहां पढ़ने वाले देश—विदेश के 7 हजार विद्यार्थी गीता का ज्ञान पा सकेंगे। इस्कॉन के चितौड़गढ़ प्रभारी हरिभक्ति प्रभु ने कहा की दुनियाभर में प्रतिवर्ष 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं जिनमें से तकरीबन डेढ़ लाख लोग भारत से होते हैं।

By Vijay KumarEdited By: Updated: Mon, 25 Apr 2022 06:13 PM (IST)
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एमओयू के दौरान विश्वविद्यालय और इस्कान चित्तौड़गढ़ के प्रतिनिधि। जागरण
उदयपुर, संवाद सूत्र। विश्व में भारतीय संस्कृति एवं श्रीमद् भागवतगीता को फैलाने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार स्थित मेवाड़ यूनिवर्सिटी में श्रीमद भगवदगीता पढ़ाएगी। इसके लिए इस्कॉन चित्तौड़गढ़ एवं मेवाड़ यूनिवर्सिटी के मध्य एमओयू हुआ है, जिसके तहत यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को नियमित रूप से गीता का अध्ययन कराया जाएगा।

दोनों के बीच एमओयू पर इस्कॉन चित्तौड़गढ़ की ओर से हरिभक्ति प्रभु एवं मेवाड़ यूनिवर्सिटी की ओर से अशोक गदिया ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर वाइस चांसलर गोविंद गदिया, डीन चित्रलेखा एवं इस्कॉन के प्रतिनिधि शामिल थे। मेवाड़ यूनिवर्सिटी प्रमुख अशोक गदिया ने यहां पढ़ने वाले देश—विदेश के 7 हजार विद्यार्थी गीता का ज्ञान पा सकेंगे। इस्कॉन के चितौड़गढ़ प्रभारी हरिभक्ति प्रभु ने कहा की दुनियाभर में प्रतिवर्ष 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं, जिनमें से तकरीबन डेढ़ लाख लोग भारत से होते हैं।

आत्महत्या के कारणों में 44 प्रतिशत कारण पारिवारिक समस्याएं एवं क्लेश, 18 प्रतिशत तनाव, 5 प्रतिशत बेरोजगारी एवं वित्तीय संकट होते हैं। इन कारणों पर गीता के ज्ञान के जरिए विजय पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों में प्रमुख रूप से आर्थिक समस्याओं का सामना किस तरह किया जाए, ही पढ़ाया जाता है जबकि जीवन की अन्य चुनौतियों जैसे संबंधों में अस्थिरता, विभिन्न असफलताओं इत्यादि का सामना करने में विद्यार्थी स्वयं को कमजोर अनुभव करते हैं। गीता की शिक्षा जीवन के प्रत्येक पहलू के विषय में ज्ञान प्रदान करती हैं, यह जीवन जीने की कला हैं।

उन्होंने बताया कि चितौड़गढ़ में इस्कॉन का केन्द्र नवंबर 2020 में शुरू हुआ। जिसके पश्चात् लगातार नियमित रूप से चित्तौड़गढ़ में जनसामान्य में धार्मिक जागृति उत्पन्न की जा रही हैं। इस्कॉन स्थित केंद्र में युवा पीढ़ी के लिए पृथक से हर मंगलवार की शाम को शास्त्रों पर कक्षाएं होती हैं। जिसमें सभी आयु वर्ग के लोग शामिल होते हैं। इसी तरह हर रविवार विशेष कथा— कीर्तन कार्यक्रम होते हैं। उन्होंने कहा, हमारी संस्कृति का दृष्टिकोण भी वैज्ञानिक आधार पर हैं। विदेशों के कई वैज्ञानिकों ने हमारे ग्रंथों पर रिसर्च किया और पाया कि जो भी लिखा है वह सत्य हैं। इसी कारण भारत देश के ग्रंथों एवं पद्धति को विदेशी अपना रहे हैं।

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