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Jaipur: रिश्वत मामले में जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर निलंबित, रिश्वतखोरी के लगे हैं आरोप

राजस्थान सरकार ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर पर रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। जिसके बाद उन्हें आधिकारिक पद के दुरुपयोग के चलते निलंबित कर दिया गया है। रिश्वतखोरी के एक मामले में शामिल होने के आरोपों के बाद गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच चल रही है जिसमें उनके पति और दो अन्य को पिछले महीने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Sat, 23 Sep 2023 02:19 PM (IST)
Jaipur: रिश्वत मामले में जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर निलंबित, रिश्वतखोरी के लगे हैं आरोप
रिश्वत मामले में जयपुर हेरिटेज नगर निगम मेयर निलंबित

जयपुर, एजेंसी। राजस्थान सरकार ने जयपुर हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को उनके आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में निलंबित कर दिया है।

रिश्वतखोरी के एक मामले में शामिल होने के आरोपों के बाद गुर्जर के खिलाफ न्यायिक जांच चल रही है, जिसमें उनके पति और दो अन्य को पिछले महीने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था।

स्थानीय स्वशासन विभाग ने शुक्रवार देर रात निलंबन आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि अगर वह अपने पद पर बनी रहीं तो लंबित जांच प्रभावित हो सकती है।

उन्हें वार्ड 43 के पार्षद पद से भी निलंबित कर दिया गया था।

गुर्जर को इससे पहले 5 अगस्त को निलंबित कर दिया गया था, जिसके एक दिन बाद उनके पति सुशील गुर्जर और दो बिचौलियों को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनके आवास पर 2 लाख रुपये के साथ पकड़ा था।

ACB ने उसके घर से कुछ आधिकारिक फाइलें और 40 लाख रुपये नकद भी बरामद किये थे।

हालाँकि, उच्च न्यायालय ने उन्हें इस आधार पर बहाल कर दिया था कि सरकार ने उन्हें निलंबित करने से पहले जांच नहीं की थी। सरकार द्वारा अपना आदेश रद्द करने के बाद उन्होंने 24 अगस्त को कार्यालय फिर से संभाला।

सरकारी आदेश में कहा गया है, मेयर को उनके घर से कुछ पट्टों की बरामदगी के कारण प्रथम दृष्टया मामले में शामिल पाया गया, जिसके बदले में रिश्वत की रकम मांगी गई थी।

ACB ने 4 अगस्त को कार्रवाई की और उनके पति और दो अन्य को 2 लाख रुपये की रिश्वत राशि के साथ गिरफ्तार किया और आवास से 40 लाख रुपये बरामद किए।

इसमें कहा गया है कि अधिकारियों को उसके घर के पट्टे के दस्तावेज भी मिले जो काफी समय से लंबित थे।

आदेश में कहा गया, प्रथम दृष्टया पट्टा जारी करने की एवज में रिश्वत की रकम मांगने की स्थिति निर्मित करने और रिश्वत की रकम प्राप्त करने में मुनेश गुर्जर की स्पष्ट संलिप्तता है।

इस मामले की न्यायिक जांच फिलहाल कानून विभाग में विचाराधीन है।

आदेश में कहा गया, मुनेश गुर्जर का आचरण एवं व्यवहार कर्तव्यों के निर्वहन में कदाचार एवं पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आता है।

टिप्पणी के लिए गुर्जर से संपर्क नहीं हो सका।

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