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भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए राजस्थान के नतीजे, सीएम भजनलाल शर्मा के गृह संसदीय क्षेत्र में भी हारी BJP

Lok sabha Election Result 2024 राजस्थान में भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नतीजे नहीं आए हैं। प्रदेश की 25 में से 14 सीटों पर ही उसको संतोष करना पड़ा है। शेष 11 सीटों पर कांग्रेस और आईएनडीआईए में शामिल दलों के प्रत्याशियों की जीत हुई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह संसदीय क्षेत्र भरतपुर में ही भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप कोली की हार हुई है।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 04 Jun 2024 11:45 PM (IST)
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भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए राजस्थान के नतीजे। फाइल फोटो।

नरेंद्र शर्मा, जागरण जयपुर। राजस्थान में भाजपा की अपेक्षा के अनुरूप नतीजे नहीं आए हैं। प्रदेश की 25 में से 14 सीटों पर ही उसको संतोष करना पड़ा है। शेष 11 सीटों पर कांग्रेस और आईएनडीआईए में शामिल दलों के प्रत्याशियों की जीत हुई है। इनमें आठ सीट पर कांग्रेस और एक-एक सीट पर माकपा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और भारत आदिवासी पार्टी (बाप) के प्रत्याशियों ने विजय पाई है। इसके साथ ही भाजपा का हैट्रिक लगाने का सपना पूरा नहीं हो सका है।

 मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह संसदीय क्षेत्र में हारी भाजपा

2014 में सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। 2019 में 24 सीटों पर भाजपा और एक सीट पर एनडीए के ही घटक दल रहे आरएलपी प्रत्याशी की जीत हुई थी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह संसदीय क्षेत्र भरतपुर में ही भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप कोली की हार हुई है। यहां कांग्रेस की संजना जाटव चुनाव जीती हैं। बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी तीसरे नंबर पर रहे हैं। यहां कांग्रेस के उम्मेदाराव बेनीवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी को हराया है।

चुनाव परिणाम के बाद भाजपा में कुछ नेताओं ने आपसी विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। ये नेता संगठन और सरकार के नेतृत्व की कार्यप्रणाली को लेकर आगामी दिनों में पार्टी आलाकमान तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।

परेशानी का हो सकता है कारण 

सूत्रों के अनुसार एक राष्ट्रीय नेता ने मंगलवार को प्रदेश के एक मंत्री और तीन विधायकों सहित कई नेताओं से टेलीफोन पर संपर्क कर आगामी रणनीति के लिए मेल-मुलाकातों का दौर शुरू करने को लेकर बात की है। विधानसभा चुनाव में प्रदेश में सरकार बनाने के करीब पांच महीने बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा की ऐसी स्थिति होना प्रदेश सत्ता और संगठन के लिए आगामी समय में परेशानी का कारण हो सकता है।

 कहीं इसलिए तो नहीं हुआ भाजपा को नुकसान

भाजपा के अपेक्षा अनुरूप सीटें नहीं जीतने का प्रमुख कारण जाट और मीणा समाज की नाराजगी माना जा रहा है। जाट वोट बैंक के प्रभाव वाली सीकर, नागौर, चूरू, झुंझुनूं व बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में भाजपा की हार हुई है। विधानसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में जाट विधायकों को उम्मीद से कम महत्व मिलने, चूरू से मौजूदा सांसद राहुल कस्वा का टिकट कटने सहित कई कारणों से जाट समाज भाजपा से नाराज माना जा रहा है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को कस्वा का टिकट कटने का मुख्य कारण माना जा रहा है। हालांकि, कस्वा टिकट कटने पर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।

 जाटों की नाराजगी का माना जा रहा कारण

किसान आंदोलन व अग्निपथ योजना भी जाटों की नाराजगी का कारण माना जा रहा है। जाट मतदाताओं का कांग्रेस को समर्थन मिलने का कारण प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर जाट नेता गोविंद सिंह डोटासरा का होना है। मीणा समाज में भी असंतोष है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक रहा मीणा समाज दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा के कारण भाजपा के साथ आया था, लेकिन मीणा को सरकार में महत्व कम मिला।

 भाजपा का मत प्रतिशत गिरा तो कांग्रेस का बढ़ा

2014 में नरेन्द्र मोदी लहर के कारण भाजपा के पक्ष में 55.6 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। कांग्रेस को 30.7 प्रतिशत मत मिले थे। 2019 में भाजपा को 58.14 तो कांग्रेस को 34.2 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार भाजपा ने 49.24 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं, जो 2019 की तुलना में 8.55 प्रतिशत कम हैं। कांग्रेस ने 37.91 प्रतिशत वोट हासिल किए हैं। वहीं माकपा ने 1.97 प्रतिशत, आरएलपी को 1.80 प्रतिशत,बसपा को 0.74 प्रतिशत,नोटा को 0.84 प्रतिशत और अन्य को 7.51 प्रतिशत वोट मिले हैं ।

राजसमंद सीट हुई भाजपा की सबसे बड़ी जीत

 सबसे बड़ी जीत सबसे बड़ी जीत राजसमंद सीट पर भाजपा की विश्वराज कुमारी की हुई है। उन्होंने कांग्रेस के देवराम गुर्जर को तीन लाख, 92 हजार 877 वोटों से हराया है।

 सबसे छोटी जीत जयपुर ग्रामीण सीट से भाजपा के राव राजेंद्र सिंह मात्र 1615 वोटों से जीते हैं। उन्होंने कांग्रेस के अनिल चौपड़ा को हराया है।

 ये दिग्गज जीते

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कोटा, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर व गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर सीट व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी चित्तौड़गढ़ से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत गए हैं।

ये दिग्गज हारे

केंद्रीय कृषि मंत्री कैलाश चौधरी बाड़मेर-जैसलमेर सीट से कांग्रेस के उम्मेदाराम से हार गए। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत भाजपा के लूम्बाराम से हार गए। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस के नेता सीपी जोशी भीलवाड़ा सीट पर भाजपा के से हार गए।

गहलोत के पुत्र वैभव दूसरी बार हारे

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत जालौर-सिरोही सीट से भाजपा के लूम्बाराम से चुनाव हार गए। वैभव पिछला चुनाव जोधपुर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से हारे थे। दुष्यंत सबसे वरिष्ठ सांसद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह झालावाड़ सीट से लगातार पांचवीं बार चुनाव जीते हैं। वह प्रदेश के सबसे वरिष्ठ सांसद हो गए हैं। वसुंधरा भी पूर्व में पांच बार सांसद रह चुकी हैं। दुष्यंत ने कांग्रेस की उर्मिला जैन को तीन लाख, 70 हजार 989 से अधिक वोटों से हराया है।

 दल बदलने वालों को कहीं नकारा तो कहीं गले लगाया

प्रदेश की जनता ने इस बार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले दो वरिष्ठ नेताओं को नकार दिया है। इनमें प्रमुख आदिवासी नेता महेंद्र मालवीय बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट से चुनाव हार गए। उन्हें बाप के युवा नेता राजकुमार रोत ने हराया है। मालवीय अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रहे थे। चुनाव से ठीक पहले वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं ज्योति मिर्धा नागौर सीट से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल से हार गई। वहीं दो बार सांसद रहे राहुल कस्वा टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया और वह चुनाव जीत भी गए। कस्वा ने भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र झाझडि़या को हराया है।

उप चुनाव में भी लगा झटका

 भाजपा को बागीदौरा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी झटका लगा है। यहां से बाप के जयकृष्ण पटेल चुनाव जीते हैं। उन्होंने भाजपा के संतोष तांबोलिया को 52 हजार वोटों से हराया है। कांग्रेस ने इस सीट पर बाप प्रत्याशी को समर्थन दिया था।

उल्लेखनीय है कि करीब पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बागीदौरा से महेंद्रजीत मालवीय चुनाव जीते थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले वह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। मालवीय के विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। मालवीय ने खुद बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और हार गए।

  • 25 में से 14 सीटों पर ही जीते प्रत्याशी
  • 11 सीटों पर आइएनडीआइए को मिली विजय
  • मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के गृह संसदीय क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी की हार
  • बाड़मेर-जैसलमेर सीट पर केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी तीसरे नंबर पर रहे
  • राजस्थान की कुल सीटें -25

2019 का परिणाम

  • भाजपा 24 और एनडीए की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) -01
  • कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी।

2024 का परिणाम

भाजपा-14

कांग्रेस-08

माकपा-01

आरएलपी-01 व भारत आदिवासी पार्टी (बाप)-01 आरएलपी, बाप और माकपा आइएनडीआइए के घटक दल हैं।

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