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महाराणा प्रताप की 479 वीं जयंती: राजतिलक स्थल के हालात देखकर होती है पीड़ा

उदयपुर से 38 किलोमीटर पिंडवाड़ा हाई वे पर गोगुंदा कस्बे में महाराणा प्रताप का राजतिलक स्थल छह करोड 76 लाख रुपये लगाने के बाद अब बना बदमाशों का अड्डा।

By Preeti jhaEdited By: Updated: Fri, 10 May 2019 02:07 PM (IST)
महाराणा प्रताप की 479 वीं जयंती: राजतिलक स्थल के हालात देखकर होती है पीड़ा
उदयपुर, सुभाष शर्मा। महाराणा प्रताप सभी देशवासियों के लिए गौरवशाली है और उनका नाम लेने पर हर भातीय का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। किन्तु एक विडम्बना ऐसी भी है कि जहां महाराणा प्रताप का राजतिलक हुआ वह स्थल अनदेखी और उपेक्षा के शिकार हैं। उदयपुर शहर और हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप से जुड़े स्मारकों की सार-संभाल जितनी बेहतरीन तरीके से हो रही है, वहीं गोगुंदा में उनके राजतिलक स्थल को देखकर वेदना ही निकलती है।

उदयपुर से 38 किलोमीटर पिंडवाड़ा हाईवे पर गोगुन्दा कस्बे में महाराणा प्रताप का राजतिलक स्थल है। जिसके विकास व संरक्षण के लिए मेवाड़ कॉम्पलेक्स योजना में वर्ष 2007 में 676 लाख रुपए राज्य सरकार ने मंजूर किए। इससे यहां की फिजां बदल गई। इसके तहत राजतिलक स्थल पर एम्पीथियेटर में दर्शकों के बैठने के लिए गोलाकार सीढ़ी बनाई गई, जिन्हें तोड़ दिया गया। पाथ वे के हालात इतने खराब हैं कि उसके पत्थर जगह-जगह से टूटे हैं और उखड़े पड़े हैं।

जीर्णोंद्धार के बाद बावड़ी देखरेख नहीं की और उसकी सीढिय़ां टूट गईं और पानी गंदा हो गया। महाराणा प्रताप की प्रतिमा के चारों ओर लगे फव्वारे और पाइपों को लोग तोडक़र ले गए। यहां तक महाराणा की प्रतिमा का निचला हिस्सा थी खोखला हो चुका है। जंग लगने से वह खराब होने लगी है। पार्क की जगह झाडिय़ां लगी हैं तथा कचरे का ढेर लगा है। सुरक्षाकर्मियों के लिए बनाए कमरे की खिड़कियां तथा दरवाजों तक को लोग चुराकर ले गए। इसके बाद बेकद्री और संरक्षण के अभाव में यह स्थल बदसूरत होता गया। यहां तक प्रताप के स्मारक स्थलों से लोग दरवाजे तक चुरा ले गए। ऐसे ही हालात पर्यटकों के बनाए गए जनसुविधा स्थल के हैं।

इस तरह बदसूरत हालात के बीच यह स्थल इन दिनों समाज कंटकों का अड्डा बन चुका है, जहां युवक नशा करते हैं और जुआ खेलने लगे हैं। गोगुंदा थाना पुलिस यहां से कई बार जुआरियों को गिरफ्तार कर चुकी। गोगुंदावासी महाराणा प्रताप के राजतिलक स्थल को लेकर गर्वित हैं लेकिन मन मसोसकर बताते हैं कि यहां सरकार ने धन की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं किया। पर्यटन विभाग मानता है कि जो कुछ वहां लगाया गया, वह सब तोड़ दिया गया और लोग ले भागे।

गौरतलब है कि अरावली की पहाडिय़ों में बसे गोगुंदा को महाराणा उदयसिंह ने चित्तौड़ के पश्चात मेवाड़ की राजधानी बनाया था। पर्यटन विभाग के अनुसार 1572 ई. में महाराणा उदयसिंह के निधन के बाद महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में होली के दिन किया गया। मेवाड़ की राजधानी उदयपुर होने पर गोगुंदा को रियासत को दर्जा मिला।

देश भर में नौ मई को मनाई प्रताप जयंती, मेवाड़ छह जून को मनाएगा

मेवाड़ ही नहीं, बल्कि संपूर्ण भारत के गौरव महाराणा प्रताप की 479 वीं जयंती देश भर में मनाई गई, लेकिन मेवाड़ उनकी जयंती तारीख से नहीं बल्कि तिथि से मनाता आया है। मेवाड़ में महाराणा प्रताप की जयंती छह जून को मनाई जाएगी। तिथि के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया को हुआ।

हालांकि गूगल और विकीपीडिया पर महाराणा प्रताप की जन्म की तारीख नौ मई लिखी होने से मेवाड़ से बाहरी लोग उनकी जयंती नौ मई को ही मनाते हैं। जबकि मेवाड़ की परम्परा तिथि के अनुसार जयंती मनाए जाने की है।

महाराणा प्रताप स्मारक समिति सचिव युद्धवीर सिंह के अनुसार, हिन्दू पर्व तिथि से मनाए जाते हैं इसलिए महाराणा प्रताप जयंती भी हमेशा परंपरागत तरीके से तिथि के अनुसार मेवाड़ में मनाई जाती है। इस वर्ष 6 जून को महाराणा प्रताप जयंती मनाई जाएगी। ये एक राष्ट्रीय पर्व है, इसका कोई एक दिन तय नहीं है, तिथि के अनुसार हर वर्ष अलग दिन पर ये मनाई जाती है।

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