राजस्थान में बहुसंख्यकों ने घरों के बाहर लगाए 'पलायन के लिए मजबूर' होने के पोस्टर
पोस्टर में अल्पसंख्यक परिवारों से खुद को खतरा बताने वाले हिंदुओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हस्तक्षेप की मांग की है। कई परिवारों ने पीएम और सीएम को पत्र लिखा है। पत्र लिखने वालों का कहना है कि मजबूरी में उन्हे पलायन करना पड़ रहा है।
By Priti JhaEdited By: Updated: Wed, 08 Sep 2021 03:32 PM (IST)
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में रह रहे हिंदू परिवार (बहुसंख्यक)अपने मकान और दुकान बेचकर दूर जा रहे हैं। जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, वह मजबूरी में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में रह रहे हैं। ऐसे परिवारों ने पिछले दो दिनों में अपने घरों के बाहर पोस्टर लगाकर खुद का जीवन खतरे में बताया है।
पोस्टर में अल्पसंख्यक परिवारों से खुद को खतरा बताने वाले हिंदुओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हस्तक्षेप की मांग की है। कई परिवारों ने पीएम और सीएम को पत्र लिखा है। पत्र लिखने वालों का कहना है कि मजबूरी में उन्हे पलायन करना पड़ रहा है। मंगलवार को इन परिवारों के करीब 100 लोगों ने कस्बे में रैली निकालकर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दिया। ज्ञापन में अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में हिंदुओं के साथ मारपीट और महिलाओं के साथ अभद्रव्यवहार किए जाने का आरोप लगाया गया है । बुधवार को इन लोगों ने बैठक कर जयपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं से मुलाकात करने की रणनीति बनाई ।
जानकारी के अनुसार पिछले दो दिनों में हिंदुओं के घरों के बाहर लगे पोस्टरों को हटाने के लिए पुलिसकर्मी कई बार पहुंचे,लेकिन लोगों के विरोध को देखते हुए उन्हे बैरंग ही लौटना पड़ा । स्थानीय नागरिक राधाकिशन ने बताया कि करीब 200 परिवार काफी समय से प्रशासन से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे को लेकर बृहस्पतिवार से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में भाजपा अशोक गहलोत सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। विधायक मदन दिलावर यह मुद्दा सदन में उठाने का प्रयास करेंगे।
उल्लेखनीय है कि आजादी के बाद से लेकर अब तक मालपुरा में 8 बार साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा हुई है। करीब 50 लोगों की जान जा चुकी है। सबसे बड़ा साम्प्रदायिक झगड़ा साल,1992 में हुआ था। उस समय दोनों समुदायों के 25 लोगों की मौत हुई थी। उसके बाद साल, 2000 में 13 लोगों की मौत हुई थी।
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