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'पानी वाली देवी' के नाम से जाना जाता ये मंदिर, Pak बम से भी नहीं हुआ ध्वस्त; पढ़ें इस रहस्यमयी मंदिर की कहानी

देश-विदेश में मौजूद मां जगदम्बा के हर एक मंदिर में विशेष अनुष्ठान होता है। ऐसे में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित गडरा गांव में मां भवानी का एक अद्भुत मंदिर है इस मंदिर को पानी वाली माता भी कहते हैं। जब भारत पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हुई तो पाकिस्तान ने इस जगह को नष्ट करने के कई कोशिश की भी थी।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sat, 05 Oct 2024 04:38 PM (IST)
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गडरा रोड कस्बे में बना एक अद्भुत मंदिर (फाइल फोटो)

डिजिटल डेस्क, राजस्थान। नवरात्रि त्योहार का भारत में बहुत महत्व होता है। वहीं शारदीय नवरात्रि में माता की पूजा का विशेष महत्व है, देश-विदेश में मौजूद मां जगदम्बा के हर एक मंदिर में विशेष अनुष्ठान होता है। ऐसे में भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित गडरा गांव में मां भवानी का एक अद्भुत मंदिर है, इस मंदिर को 'पानी वाली माता' भी कहते हैं। इस मंदिर में नवरात्रि के 9 दिन देश-विदेश से भक्त पहुंचते हैं और माता के दर्शन कर पूजा पाठ करते हैं।

अब आपको आगे इस मंदिर से जुड़े रोचक तत्व बताते हैं, यह मंदिर गडरा रोड कस्बे में बना हुआ है जो बाड़मेर जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूर है, और भारत-पाकिस्तान सीमा से महज डेढ़ किलोमीटर पहले स्थित है।

भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात आर्मी के लिए सप्लाई हुआ पानी

इस मंदिर के चमत्कार को लेकर गांव वाले बताते हैं कि पाकिस्तान से पलायन करने के बाद जब लोग यहां पहुंचे तो गांव के सरपंच छोगालाल भूतड़ा ने ग्रामीण के साथ इस जगह मां जगदंबा की पूजा अर्चना कर कुआं खुदवाया था, जहां पर मीठा पीने का पानी मिल गया। इसके बाद इसी जगह भारत-पाकिस्तान सीमा पर तैनात आर्मी के लिए पीने के पानी की सप्लाई यहीं से होने लगी और आसपास के करीब 30- 40 किलोमीटर के इलाके में लोगों की प्यास बुझाने का यह कुआं ही एकमात्र जल स्रोत था।

पाकिस्तान बम से मंदिर को नहीं हुआ नुकसान

लेकिन जब भारत पाकिस्तान के बीच जंग शुरू हुई तो पाकिस्तान ने इस जगह को नष्ट करने के कई कोशिश की, लेकिन माता के चमत्कार से यह एक मंदिर को नुकसान नहीं हुआ और एक भी बम नहीं फटा। इसके बाद ग्रामीणों में इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ती गई।

इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था इतनी ज्यादा है कि आज इस गांव से निकले लोग राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक राज्यों के साथ बाहर व्यापार कर रहे हैं, लेकिन तब भी साल में एक बार इस मंदिर में जरूर आते हैं।

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