Rajasthan: फर्जी डिग्री बनाकर सरकारी नौकरी दिलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़, यूट्यूब चैनल से बनाते थे शिकार; ऐसे खुली पोल-पट्टी
राजस्थान में फर्जी खेल प्रमाण पत्र और निजी विश्वविद्यालयों से फर्जी डिग्री बनाकर सरकारी नौकरी लगवाने वाली गिरोह के गिरफ्तार किए गए छह सदस्यों ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं। गिरोह के सदस्यों ने यू-ट्यूब चैनल के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। फिर उनसे पैसे लेकर फर्जी खेल प्रमाण पत्र और डिग्री देते थे।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में फर्जी खेल प्रमाण पत्र और निजी विश्वविद्यालयों से फर्जी डिग्री बनाकर सरकारी नौकरी लगवाने वाली गिरोह के गिरफ्तार किए गए छह सदस्यों ने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की पूछताछ में कई बड़े खुलासे किए हैं।
कई सालों से सक्रिय था गिरोह
गिरोह के सदस्यों ने यू-ट्यूब चैनल के जरिए लोगों को अपने जाल में फंसाते थे। फिर उनसे पैसे लेकर फर्जी खेल प्रमाण पत्र और डिग्री देते थे। एसओजी की पूछताछ में सामने आया कि पिछले कई सालों से यह गिरोह इस तरह का काम कर रहा था।
सैकड़ों लोगों की लगवाई नौकरी
गिरोह ने अब तक एक सौ से अधिक लोगों को फर्जी खेल प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी लगवाई है। सरकारी नौकरी में खेल प्रमाण पत्र धारक को प्राथमिकता मिलती है। एसओजी के महानिरीक्षक परीस देशमुख ने बताया कि गिरोह के सदस्य फर्जी डिग्री, फर्जी खेल प्रमाण पत्र, फर्जी मेडल पैसे लेकर देते थे। साथ ही पिछली तारीख में निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश दिलाने का काम भी करते थे।
16 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर आरोपी
मामले में सुभाष पूनिया और उसके पुत्र परमजीत के साथ ही प्रदीप शर्मा को तीन दिन पहले गिरफ्तार किया गया था। इनसे पूछताछ के आधार पर मनदीप सांगवान, जगदीश और राकेश कुमार को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी छह आरोपित 16 अप्रैल तक पुलिस रिमांड पर है। गिरोह में शामिल 11 अन्य सदस्यों को चिन्हित कर एसओजी तलाश में जुटी है। ये फिलहाल फरार हैं।
जांच में जुटी पुलिस
पूछताछ में सामने आया कि यह गिरोह दस साल से सक्रिय थी। करोड़ों रुपये वसूलकर गिरोह के सदस्यों ने फर्जी डिग्री और खेल प्रमाण पत्र से लोगों को सरकारी नौकरी दिलाई है। पुलिस इस बारे में विस्तृत जांच में जुटी है। देशमुख ने बताया कि सुभाष पहले राजगढ़ स्थित निजी ओपीजेएस विश्वविद्यालय में नौकरी करता था। इस कारण उसकी निजी विश्वविद्यालयों में जान पहचान थी।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में नौकरी करते हुए सुभाष ने कई लोगों को फर्जी डिग्री बनवाकर दी थी। सुभाष सहित अन्य आरोपितों के सात निजी विश्वविद्यालयों में संपर्क था । मनदीप और जगदीश ने लोगों को फंसाने के लिए यूट्यूब चैनल बनाए थे।चैनल के माध्यम से ये लोगों को अपने जाल में फंसाते थे।
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