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Rajasthan: नागौर के मिर्धा परिवार में संपत्ति विवाद, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने दर्ज कराया मुकदमा

Rajasthan नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने अपने चाचा पूर्व सांसद भानू मिर्धा व प्रदेश की पूर्व पर्यटन मंत्री उषा पूनिया सहित कुछ अन्य लोगों के खिलाफ अपने हिस्से की जमीन को हड़प करने को लेकर चौपासनी हाउसिंग बोर्ड पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Fri, 06 Aug 2021 05:51 PM (IST)
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नागौर के मिर्धा परिवार में संपत्ति विवाद, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने दर्ज कराया मुकदमा। फाइल फोटो
जोधपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान की राजनीति में बाबा के नाम से प्रसिद्ध रहे स्वर्गीय नाथूराम मिर्धा के परिवार में संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद अब खुलकर सामने आ गया है। उनकी पोती और नागौर की पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने अपने चाचा पूर्व सांसद भानू मिर्धा व प्रदेश की पूर्व पर्यटन मंत्री उषा पूनिया सहित कुछ अन्य लोगों के खिलाफ अपने हिस्से की जमीन को हड़प करने को लेकर चौपासनी हाउसिंग बोर्ड पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया है। ज्योति मिर्धा ने यह मामला इस्तगासा के जरिये दर्ज कराया है। ज्योति मिर्धा की तरफ से कहा गया कि नाथूराम मिर्धा के दो पुत्र रामप्रकाश मिर्धा और भानुप्रकाश मिर्धा हुए। ज्योति रामप्रकाश मिर्धा की बेटी है, उसका आरोप है कि भानुप्रकाश मिर्धा ने अपने भाई रामप्रकाश मिर्धा के कूटरचित हस्ताक्षर कर उनके हिस्से की जमीन बेच कर वहां कॉलोनी काटने का प्रयास किया है ।

रिपोर्ट के अनुसार, जोधपुर के चौपासनी क्षेत्र में करीब पचास बीघा क्षेत्रफल में मिर्धा फार्म हाउस स्थित है। नाथूराम मिर्धा अमूमन यहां पर निवास करते थे। उनके दौर में यह क्षेत्र जोधपुर शहर से बाहर था। शहर के विस्तार के साथ यह शहरी सीमा में आ गया। इस कारण इस जमीन के दाम बहुत अधिक बढ़ गए। ज्योति का आरोप है कि वर्ष 1988 में उसके चाचा भानू प्रकाश ने फार्म हाउस की चार बीघा भूमि भंवरलाल को बेच दी। भंवरलाल ने इस भूमि पर कॉलोनी काटने का फैसला किया। जो हिस्सा बेचा गया वह रामप्रकाश मिर्धा के हिस्से का था। ज्योति का कहना है कि उसके पिता राम प्रकाश मिर्धा की 22 जुलाई, 1993 को मौत हो गई थी। उनके निधन के बाद पत्नी वीणा देवी संपत्ति की वारिस बनी। वीणा का भी कुछ समय पूर्व निधन हो गया। रामप्रकाश के दो बेटी ज्योति व हेमश्वेता हैं। ऐसे में पिता की संपत्ति पर दोनों बहनों का ही हक है। रामप्रकाश की मौत से छह माह पहले भानु प्रकाश ने जनवरी, 1993 में राम प्रकाश मिर्धा और दो गवाहों के हस्ताक्षर युक्त अनापत्ति प्रमाण पत्र जोधपुर विकास प्राधिकरण। (तत्कालीन यूआईटी) में प्रस्तुत किया, जो पूरी तरह से फर्जी था। अनापत्ति प्रमाण पत्र पर राम प्रकाश मिर्धा के फर्जी हस्ताक्षर किए गए।

ज्योति ने आरोप लगाया कि उच्च पदों पर आसीन होने का फायदा उठाते हुए यह कृत्य किया गया। इन दस्तावेजों के आधार पर फार्म हाउस की कृषि भूमि को आवासीय भूमि में परिवर्तित कर दिया गया था। ज्योति का कहना है कि दोनों बहनों का जोधपुर आना बहुत कम होता है। ऐसे में उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं हो पाई। ज्योति का कहना है कि 2018 के अंत में न्यायालय के समक्ष बंटवारे के दावे के दौरान इस फर्जीवाड़े की जानकारी उन्हें मिली थी। इसके पश्चात कार्रवाई शुरू की गई। दस्तावेज प्राप्त करने में समय लगा। इस दौरान कोरोना संक्रमण होने से कार्रवाई नहीं हो सकी। जोधपुर विकास प्राधिकरण की ओर से वर्ष 2018 में भूमि परिवर्तन के दिए गए आदेश पर ज्योति मिर्धा उनकी बहन की ओर से प्राधिकरण के अध्यक्ष संभाग जोधपुर के समक्ष परिवाद पेश किया। जिस पर इस वर्ष मार्च में स्टे दे दिया गया।

इनको बनाया आरोपित

इस मामले में भानु प्रकाश मिर्धा के अलावा सोसायटी के अध्यक्ष भंवरलाल, बाड़मेर निवासी महेश चौधरी, जोधपुर निवासी पूर्व आइपीएस फिरोज खान की पुत्री रुखसाना, कमला पत्नी हरिप्रसाद, अनिल चौधरी, उनकी पत्नी नंदा चौधरी, कमलेश चौधरी, पूर्व पर्यटन मंत्री उषा पूनिया, शिवानी पुत्री विजय पूनिया, हिमानी पुत्री विजय पूनिया, अनिल चौधरी और सब रजिस्ट्रार फर्स्ट (जोधपुर) को आरोपित बनाया गया है।

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