Move to Jagran APP

राजस्थान में सामूहिक छुट्टी पर जाएंगे 17 मेडिकल कॉलेजों के 700 शिक्षक, सरकार के फैसले का कर रहे हैं विरोध

राजस्थान में मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों ने घोषणा की है कि वे सामूहिक छुट्टी पर जाएंगे। राज्य के 17 मेडिकल कॉलेजों के 700 शिक्षकों ने ये घोषणा की है। ये शिक्षक राज्य सरकार के उस फैसले का विरोध कर रहे हैं जिसमें कहा गया है कि राजस्थान सिविल सेवा नियम उन शिक्षकों पर लागू होगा जो 1 अगस्त 2024 के बाद नियुक्त होंगे। जानिए क्या है पूरा मामला।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 20 Jul 2024 09:53 PM (IST)
Hero Image
अगस्त 2024 से पहले नियुक्त शिक्षकों को राजस्थान सेवा नियमों के तहत कवर नहीं किया गया है। (File Image)

पीटीआई, जयपुर। राजस्थान के 17 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के करीब 700 शिक्षकों ने 22 जुलाई से सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा की है। इन शिक्षकों का आरोप है कि राज्य सरकार ने अगस्त 2024 से पहले नियुक्त शिक्षकों को राजस्थान सेवा नियमों के तहत कवर नहीं किया है।

गौरतलब है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति राज्य सरकार की स्वायत्त संस्था, राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसाइटी (राजएमईएस) द्वारा की जाती है और उन पर सोसायटी के सेवा नियम लागू होते हैं। चिकित्सा शिक्षकों की मांग है कि राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियमों को समाज द्वारा अपनाया जाना चाहिए, क्योंकि समाज के नियमों में कई विसंगतियां हैं।

बजट में की गई थी घोषणा

राजएमईएस आरएमसीटीए कल्याण सोसायटी के उपाध्यक्ष डॉ. राजेंद्र यादव ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि सरकार ने हाल ही में राज्य बजट में घोषणा की कि राजमेस में राजस्थान सिविल सेवा नियम अपनाए जाएंगे, जिसका शिक्षक संघ ने स्वागत किया, लेकिन बाद में एसोसिएशन को पता चला कि यह 1 अगस्त 2024 या उसके बाद नियुक्त शिक्षकों पर लागू होगा।

वेतन में असमानता बढ़ने की आशंका

उन्होंने कहा, 'हमारे संज्ञान में आया है कि वित्त विभाग ने निर्णय लिया है कि 1 अगस्त 2024 से पहले राजमेस में नियुक्त चिकित्सा शिक्षक 'डाइंग कैडर' होंगे और सोसायटी के मौजूदा नियम उन पर लागू होंगे, जबकि राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) ) नियम-2017, 1 अगस्त 2024 या उसके बाद नियुक्त शिक्षकों पर लागू होगा। इससे चिकित्सा शिक्षकों के बीच भारी वेतन असमानता पैदा होगी।'

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।