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Rajasthan Election 2023: राजस्थान में अचार संहिता लागू, फ्री फूड पैकेट समेत इन योजनाओं का अब नहीं मिलेगा लाभ

राजस्थान चुनाव के तारीख की घोषणा होने के बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन ने कहा कि पिछले दिनों विभिन्न बोर्ड एवं निगमों में की गई राजनीतिक नियुक्ति वाले जो नेता कार्यभार ग्रहण नहीं कर सके थे अब वे काम नहीं कर सकेंगे। जातीय सर्वे का फैसला चुनाव आयोग करेगा। हालांकि इस बारे में शनिवार देर रात आदेश जारी हो गए थे।

By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Tue, 10 Oct 2023 03:00 AM (IST)
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राज्य में मुफ्त मोबाइल और फूड पैकेट वितरण योजना बंद। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव घोषणा के साथ ही आचार संहिता लागू हो गई है। आचार संहिता लागू होने के बाद दो दिन पहले बनाये गए, तीन नये जिलों के क्रियान्वयन का काम अटक गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो दिन पहले कुचामन सिटी, मालपुरा और सुजानगढ़ तीन नये जिले बनाने की घोषणा की थी। लेकिन, सोमवार दोपहर तक इन जिलों को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की गई थी। ऐसे में अब ये जिले मान्य नहीं होंगे। अब प्रशासनिक रूप से प्रदेश में 50 जिले ही मान्य होंगे।

जातीय सर्वे का फैसला करेगा चुनाव आयोग

चुनाव के बाद बनने वाली सरकार इनके बारे में फैसला करेगी। साथ ही पिछले दिनों विभिन्न बोर्ड एवं निगमों में की गई राजनीतिक नियुक्ति वाले जो नेता कार्यभार ग्रहण नहीं कर सके थे, अब वे काम नहीं कर सकेंगे। राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त प्रवीण गुप्ता ने बताया कि जातीय सर्वे का फैसला चुनाव आयोग करेगा। हालांकि, इस बारे में शनिवार देर रात आदेश जारी हो गए थे।

गहलोत सरकार की ओर से प्रदेश में महिलाओं को नि:शुल्क मोबाइल फोन और फूड पैकेट भी अब वितरित नहीं हो सकेंगे। पिछले दो महीने से शिविर लगाकर इनका वितरण हो रहा था। प्रतिवर्ष दीपावली पर सरकारी कर्मचारियों को दिया जाने वाला बोनस भी इस बार नहीं मिलेगा। गुप्ता ने बताया कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी कार्य, घोषणा, बयान और आदेश को आयोग अपने क्षेत्राधिकार में ले सकता है।

होर्डिंग्स से हटाए गए सीएम की फोटो

जानकारी के अनुसार, अब एक हजार से अधिक सरकारी भवनों के उद्धाटन और शिलान्यास के काम अटक गए हैं। आचार संहिता लागू होने के साथ ही सरकारी योजनाओं के साथ सीएम की फोटो के लगे होर्डिंग्स को हटा दिया गया है। मंत्रियों, बोर्ड एवं निगमों के अध्यक्षों की सरकारी गाड़ियां मोटर गैराज में पहुंचा दी गई है।

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