Rajasthan: राज्यपाल ने लौटाया बाल विवाह पंजीकरण विधेयक, कहा-यह विधेयक बाल विवाह रोकने के प्रावधानों के खिलाफ
Rajasthan राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधेयक को बाल विवाह रोकने के कानून के खिलाफ बताते हुए इसमें संशोधन करने के लिए कहा है। विधेयक लौटाने का पत्र विधानसभा को भेजा गया। विधानसभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी ने यह पत्र पढ़कर सदन में सुनाया।
By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Wed, 09 Feb 2022 10:34 PM (IST)
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन के पंजीकरण के प्रावधान वाले विवादित विधेयक को वापस लौटा दिया है। राज्यपाल ने विधेयक को बाल विवाह रोकने के कानून के खिलाफ बताते हुए इसमें संशोधन करने के लिए कहा है। विधेयक लौटाने का पत्र विधानसभा को भेजा गया। विधानसभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी ने यह पत्र पढ़कर सदन में सुनाया। इस विधेयक में 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21से कम उम्र के लड़के की शादी का भी रजिस्ट्रेशन करने का प्रावधान किया गया था। पिछले साल 17 सितंबर को राजस्थान में विवाह का अनिवार्य पंजीकरण संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित किया गया था। 24 सितंबर को मंजूरी के लिए राज्यपाल के पास भेजा गया था। इस विधेयक भाजपा के साथ ही सामाजिक संगठनों ने विरोध किया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने भी विधेयक पर आपत्ति जताई थी । सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुंचा था। विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल से मुलाकात कर विधेयक वापस भेजने का आग्रह किया था।
विधेयक पर फिर विचार करने के लिए कहा राज्यपाल ने विधेयक लौटाते हुए कहा कि विवाह के अनिवार्य पंजीकरण संशोधन विधेयक की धारा आठ की उपधारा एक में किया गया संशोधन बाल विवाह रोकथाम कानून, 2006 की धारा नौ, 10,11 और 12 का उल्लंघन है। राष्ट्रीय बाल अधिकारिता आयोग ने भी इस विधेयक पर आपत्ति जताई है। राज्यपाल ने लिखा कि विधानसभा इस विधेयक पर फिर से विचार करते हुए इस बिंदु पर भी परीक्षण करे कि इसके संशोधन बाल विवाह रोकथाम कानून,2006 के किस-किस प्रावधान के अनुसार कानून सम्मत नहीं है।
बजट सत्र में भाजपा विधायकों ने रीट मामले की सीबीआइ से जांच करवाने के लिए विरोध जताया राज्यपाल कलराज मिश्र के अभिभाषण के साथ राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र बुधवार से शुरू हुआ। एक घंटे तीन मिनट के अभिभाषण के दौरान भाजपा के विधायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (रीट) का पेपर लीक होने की सीबीआइ से जांच करवाने की मांग से जुड़ी तख्तियां लेकर अपनी सीटों पर खड़े रहे। भाजपा विधायकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध भी जताया। इस दौरान राज्यपाल ने दो बार भाजपा विधायकों से बैठने का आग्रह किया। लेकिन वह खड़े रहे, उन्होंने नारेबाजी भी की। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के विधायकों ने अभिभाषण का बहिष्कार किया। अभिभाषण में राज्यपाल मिश्र ने कहा कि राजस्थान कोरोना प्रबंधन में श्रेष्ठ रहा और रोल माडल बनकर उभरा है। इस आपदा से सरकार ने बेहतर तरीके निपटा है। किसी को भूखा नहीं सोने दिया । कुल 1815 करोड़ खर्च किए गए। राज्य में चिकित्सा सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है। अभिभाषण समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाजपा विधायकों के पास पहुंचे। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और विधायकों से कहा कि आपे बैठे हुए ही तख्तियां दिखा देते,एक घण्टे खड़े नहीं रहना पड़ता।
सरकार के आग्रह पर राज्यपाल ने विधेयक लौटाया पिछले विधानसभा सत्र के दौरान बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन को लेकर राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण संशोधन विधेयक पारित किया गया था। इस विधेयक के तहत बाल विवाह की जानकारी उनके माता-पिता या अभिभावकों को शादी की जानकारी 30 दिन के भीतर प्रशासन को देने का प्रावधान किया गया था। भाजपा, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने इस विधेयक का विरोध किया था। इस पर राज्य सरकार ने राज्यपाल से मंजूरी के लिए भेजा गया विधेयक वापस लौटाने का आग्रह किया था। राज्यपाल ने यह विधेयक वापस लौटा दिया। इस बात की जानकारी विधानसभा अध्यक्ष डा. सीपी जोशी ने सदन में दी।
दो विधायकों को शपथ दिलाई अभिभाषण समाप्त होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उप चुनाव में निर्वाचित हुए दो विधायक प्रीति शक्तावत और नगराज मीणा को शपथ दिलाई। दोनों कांग्रेस के टिकट पर ढ़ाई महीने पहले ही चनाव में जीते थे। विधानसभा में भारत रत्न लता मंगेशकर, पूर्व सीडीएस बिपिन रावत, पूर्व सांसद बृजराज सिंह, जमना बारूपाल सहित दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई।
विधानसभा को घेरने पहुंचे बेरोजगार रीट का पेपर लीक होने के विरोध सहित विभिन्न मांगों को लेकर बेरोगार एकीकृत महासंघ के बैनर तले बेरोजगार युवक विधानसभा का घेरोव करने पहुंचे, लेकिन उन्हें कुछ दूर ही रोक दिया गया। महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि पेपर लीक होने के मामले की जांच सीबीआइ से करवाने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाएं समय पर आयोजित की जानी चाहिए।
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