जयपुर की महापौर के निलंबन पर उच्च न्यायालय ने लगाई रोक, HC ने स्वायत्त शासन विभाग की जांच को बताया दुर्भावनापूर्ण
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक बार फिर जयपुर हेरिटेज नगर निगम की निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर का निलंबन रद कर दिया है। गुर्जर के वकील विज्ञान शाह ने बताया कि न्यायालय ने अपने आदेश में महापौर के खिलाफ की गई प्रारंभिक जांच को दुर्भावनापूर्ण माना है। महापौर को ऐसे आरोपों को लेकर नोटिस थमा दिया जो उन पर लगे ही नहीं थे।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक बार फिर जयपुर हेरिटेज नगर निगम की निलंबित महापौर मुनेश गुर्जर का निलंबन रद कर दिया है। न्यायाधीश अनूप ढंड ने राज्य सरकार के आदेश को रद करते हुए स्वायत्त शासन विभाग की जांच को दुर्भावनापूर्ण बताया। वहीं, एक महीने में फिर से जांच करने के निर्देश भी दिए। मालूम हो कि स्वायत्त शासन विभाग ने जांच कर गुर्जर को कई मामलों में दोषी मानते हुए निलंबित किया था।
गुर्जर के वकील ने क्या कहा?
गुर्जर के वकील विज्ञान शाह ने बताया कि न्यायालय ने अपने आदेश में महापौर के खिलाफ की गई प्रारंभिक जांच को दुर्भावनापूर्ण माना है। महापौर को ऐसे आरोपों को लेकर नोटिस थमा दिया, जो उन पर लगे ही नहीं थे।
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22 सितंबर को किया गया था निलंबित
उन्होंने कहा कि 11 सितंबर को स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक और उप निदेशक ने नोटिस दिया। ऐसे में महापौर निदेशक के समक्ष उपस्थित हो गई थी। वहीं, सरकार ने उप निदेशक की रिपोर्ट के आधार पर 22 सितंबर को महापौर को निलंबित कर दिया, जो कि नियम विरूद्ध है। एक मामले में दो समानांतर जांच नहीं चलाई जा सकती है।
पांच अगस्त को भी किया गया था निलंबित
उल्लेखनीय है कि गुर्जर को 22 सितंबर को सरकार ने दूसरी बार निलंबित किया गया था। जिसे उच्च न्यायालय ने रद कर दिया। इससे पहले महापौर को पांच अगस्त को निलंबित किया गया था, जिसे भी उच्च न्यायालय ने रदद कर दिया था।
क्या है मामला?
अशोक गहलोत सरकार में खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास व विधायक रफीक खान की नाराजगी के चलते कांग्रेस पार्षदों ने महापौर के खिलाफ मोर्चा खोला था, जबकि गुर्जर खुद कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर महापौर बनी थी। गुर्जर के आवास पर राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने छापा मारकर नकद रकम व कुछ दस्तावेज बरामद किए थे। उन्ही के आधार पर गुर्जर को निलंबित किया गया था।