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'सरोगेसी से बनी मां भी मातृत्व अवकाश की हकदार', राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा- सरकार भेदभाव नहीं कर सकती

राजस्थान उच्च न्यायालय ने सरोगेसी को लेकर बड़ा आदेश दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि सरोगेसी से बनी मां भी मातृत्व अवकाश की हकदार है। सरकार भेदभाव नहीं कर सकती। न्यायालय ने राज्य सरकार के 23 जून 2020 के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया जिसके तहत सरोगेसी से मां बनने वाली याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से मना कर दिया गया था।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 10 Nov 2023 09:42 PM (IST)
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राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा- सरोगेसी से बनी मां भी मातृत्व अवकाश की हकदा
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में सरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं के प्रसूति अवकाश को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि सरकार किसी भी मां के साथ केवल इसलिए भेदभाव नहीं कर सकती कि उसका बच्चा सरोगेसी के जरिए हुआ है। सरोगेसी मां भी सरकार से प्रसूति अवकाश लेने की हकदार है।

राज्य सरकार के आदेश को न्यायालय ने किया रद्द

न्यायालय ने राज्य सरकार के 23 जून, 2020 के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसके तहत सरोगेसी से मां बनने वाली याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से मना कर दिया गया था। न्यायाधीश अनूप कुमार ढंढ ने चंदा केसवाली की याचिका को मंजूर करने के बाद यह निर्देश जारी किया।

याचिकाकर्ता को 180 दिन का मातृत्व अवकाश देने का निर्देश

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को 180 दिन का मातृत्व अवकाश देने का भी निर्देश दिया है। साथ ही कहा कि सरोगेसी से बनी मां के लिए अवकाश को लेकर कानून बनाने का उचित समय है। न्यायालय ने आदेश की प्रति कानून मंत्रालय और प्रमुख विधि सचिव को भेजकर उचित कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिए हैं।

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'... मां के मातृत्व का अपमान करना है'

न्यायालय ने कहा कि सरकार प्राकृतिक मां, जैविक (बायोलॉजिकल) मां और सरोगेसी से बनी मां के बीच अंतर नहीं कर सकती है। इनके बीच अंतर करना मां के मातृत्व का अपमान करना है। किसी मां के साथ सिर्फ इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता कि उसका बच्चा सरोगेसी से हुआ है। मातृत्व अवकाश स्वीकृत करते समय न केवल स्वास्थ्य संबंधी मुददों पर विचार किया जाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए भी यह अवकाश दिया जाता है।

राज्य सरकार ने मातृत्व अवकाश देने से किया था मना

याचिकाकर्ता ने कहा कि साल 2007 में उसकी शादी हुई थी। उसके बाद 31 जनवरी 2020 को सरोगेसी से उसके दो जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया था। उसने 6 मार्च, 2020 को मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया, लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि राजस्थान सेवा नियमों के तहत सरोगेसी से मां बनने पर अवकाश का प्रावधान नहीं है। इस पर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।

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उच्च न्यायालय में राज्य सरकार की तरफ से तर्क दिया गया था कि इसके नियम नहीं होने के कारण याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश नहीं दे सकते। लंबी चली सुनवाई के बाद अब फैसला आया है।

क्या है सरोगेसी?

अपनी पत्नी के अलावा किसी दूसरी महिला के कोख में बच्चे को पालना सरोगेसी कहलाता है। जो दंपती किसी वजह से बच्चा पैदा करने में सक्षम नहीं होते वो इसका सहारा ले रहे हैं। 

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