जयपुर मेयर के निलंबन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, काम पर वापस लौटीं, क्या है पूरा मामला?
राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद जयपुर की निलंबित मेयर गुरुवार (24 अगस्त) को अपने काम पर वापस लौट आईं। मुनेश गुर्जर जयपुर हेरिटेज नगर निगम की मेयर हैं। मुनेश रिश्वत मामले में अपने पति की गिरफ्तारी और हाई कोर्ट द्वारा उनके निलंबन पर रोक लगाते ही एक दिन बाद काम फिर से शुरू कर दिया। मुनेश गुर्जर को राजस्थान सरकार ने 5 अगस्त को निलंबित कर दिया था।
जयपुर, एजेंसी। राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बाद जयपुर की निलंबित मेयर गुरुवार (24 अगस्त) को अपने काम पर वापस लौट आईं। मुनेश गुर्जर जयपुर हेरिटेज नगर निगम की मेयर हैं। मुनेश रिश्वत मामले में अपने पति की गिरफ्तारी और हाई कोर्ट द्वारा उनके निलंबन पर रोक लगाते ही एक दिन बाद काम फिर से शुरू कर दिया।
मेयर मुनेश गुर्जर को राजस्थान सरकार ने 5 अगस्त को निलंबित कर दिया था। उन्होंने निलंबन को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने बुधवार को निलंबन आदेश पर रोक लगा दी। मेयर गुरुवार को नगर निगम मुख्यालय स्थित अपने कार्यालय पहुंचीं और अपने समर्थकों की मौजूदगी में काम दोबारा शुरू किया।
बिना निलंबन आदेश पारित नहीं किया जा सकता- कोर्ट
बुधवार को हाई कोर्ट ने उनके निलंबन पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि प्रारंभिक जांच किए बिना निलंबन आदेश पारित नहीं किया जा सकता। मुनेश गुर्जर ने अपने निलंबन को अपने और अपने परिवार के खिलाफ एक "राजनीतिक साजिश" करार दिया था।
एसीबी ने सुशील गुर्जर को गिरफ्तार किया था
मेयर के पति सुशील गुर्जर और दो कथित बिचौलियों- नारायण सिंह और अनिल दुबे को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने 4 अगस्त की रात को जमीन का पट्टा जारी करने के बदले 2 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
तलाशी में मिले 40 लाख रुपये नकद
बाद में सुशील गुर्जर के घर की तलाशी में 40 लाख रुपये नकद और पट्टे की फाइल बरामद हुई थी। निलंबन आदेश में स्थानीय स्वशासन विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव हृदेश कुमार शर्मा ने कहा था कि मामले में प्रथमदृष्टया संलिप्तता संदिग्ध होने की वजह से जांच पूरी होने तक महापौर को उनके पद से निलंबित किया जाता है।