Rajasthan Politics News: सुप्रीम कोर्ट का राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर रोक से इनकार, सोमवार को फिर सुनवाई
Rajasthan Politics News राजस्थान में जारी सियासी रार के बीच बागी विधायकों पर अयोग्यता कार्यवाही को लेकर राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है
By TaniskEdited By: Updated: Thu, 23 Jul 2020 04:59 PM (IST)
नई दिल्ली,जेएनएन। राजस्थान में जारी सियासी संकट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि पहले हाईकोर्ट का फैसला आ जाए, उसके बाद सोमवार को फिर इस मामले की सुनवाई होगी। राजस्थान विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट के फैसले को रद किया जाए, किसी निर्णय से पहले विधानसभा अध्यक्ष के मामले में दखल नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने सचिन पायलट और 18 विधायकों की ओर से हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार जस्टिस अरुण मिश्रा ने यह बात कही। मामले में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कोर्ट ने पूछा कि विधायकों को किस आधार पर अयोग्यता नोटिस जारी की गई ? इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विधायक पार्टी बैठक में शामिल नहीं हुए, वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। वे हरियाणा के एक होटल में रुके हुए हैं। उनसे संपर्क नहीं हो रहा है और वे अपनी पार्टी के खिलाफ फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं। इसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, 'क्या लोगों द्वारा चुने गए व्यक्ति अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते?' असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। लोकतंत्र में क्या किसी को इस तरह से रोका जा सकता है?' इससे पहले सिब्बल ने कहा कि कोर्ट निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता। यह न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। सिब्बल ने कहा कि स्पीकर के फैसले से पहले अदालत द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जब-तक कि कोई निलंबित या अयोग्य घोषित न हो। इस स्तर पर सुरक्षात्मक आदेश (Protective Order) जारी नहीं हो सकता। जब राजस्थान उच्च न्यायालय ने नोटिस पर जवाब देने के लिए समय बढ़ाया और कहा कि कोई निर्देश पारित नहीं किया जाएगा, तो यह एक सुरक्षात्मक आदेश था। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सचिन पायलट समते 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर रोक लगाने वाले राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राजस्थान के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है, ताकि बगैर उनका पक्ष सुने कोर्ट मामले में कोई आदेश न जारी कर दे। मामले में आज तीन जज की पीठ सुनवाई कर रही है।
याचिका में हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग याचिका में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के 'किहोतो होलां' केस का उदाहरण दे हाई कोर्ट द्वारा स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का आदेश को गलत बताया गया है। 'किहोतो होलां' केस में दी गई व्यवस्था के मुताबकि कोर्ट स्पीकर के निर्णय लेने या कार्यवाही में दखल नहीं दे सकता। स्पीकर ने याचिका में हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है।
नोटिस कार्यवाही का हिस्सा, इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकतीयाचिका में संविधान के अनुच्छेद 212 का हवाला दे कहा गया है कि सदस्यों को जारी किया गया नोटिस कार्यवाही का हिस्सा है और इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। इसमें यह भी कहा गया कि नोटिस में विधायकों से जवाब मांगी गई है और ये सदस्यों की अयोग्यता के मामले में अंतिम निर्णय नहीं है। यह इस प्रक्रिया की शुरुआत है।
स्पीकर और कोर्ट के फैसलों के बीच विरोधाभास से बचने के लिए दायर की याचिका- जोशी जोशी ने कहा है कि उन्होंने स्पीकर और कोर्ट के फैसलों के बीच विरोधाभास से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया, 'मेरा प्रयास राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करना था, इसलिए मैंने अदालत के कहने पर 21 जुलाई को एक्शन नहीं लिया। कल, अदालत ने मुझे 24 जुलाई तक इंतजार करने के लिए कहा और मैंने उसका भी सम्मान किया। चूंकि मामला अदालत में है, इसलिए अध्यक्ष आगे कुछ नहीं कर सकता। मैंने स्पीकर और कोर्ट के फैसलों के बीच विरोधाभास से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दायर की है।'क्या है मामलागौरतलब है कि पिछले हफ्ते पार्टी ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक को लेकर व्हिप जारी किया था। पायलट और 19 विधायक बैठक में शामिल नहीं हुए। इसके बाद स्पीकर ने इन्हें दल-बदल कानून के तहत इन्हें अयोग्य ठहराने का नोटिस जारी किया। पायलट खेमे ने इसके बाद नोटिस को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना है कि व्हिप विधानसभा सत्र के दौरान लागू होता है ना कि पार्टी बैठक के लिए। जागरण ऐप के 'फटाफट खबरों' से दो मिनट में जानें देश-दुनिया की हर बड़ी ख़बर