Rajasthan Political Crisis: स्पीकर सीपी जोशी की दायर याचिका पर SC आज करेगा सुनवाई, सचिन पायलट ने फाइल की कैविएट
Rajasthan Political Crisis राजस्थान में विधानसभा में अयोग्यता मामले में आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 23 Jul 2020 07:32 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राजस्थान हाईकोर्ट के सचिन पायलेट सहित 19 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर रोक लगाने वाले गत 21 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने स्पीकर को 24 जुलाई तक सदस्यों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर सुनवाई करने से रोक दिया था।
सदस्यों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही पर हाईकोर्ट के रोक आदेश को दी चुनौतीयाचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट का स्पीकर को कार्यवाही से रोकने का आदेश गलत है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के किहोतो होलां केस में दी गई व्यवस्था के मुताबकि कोर्ट स्पीकर के निर्णय लेने या कार्यवाही में दखल नहीं दे सकता। स्पीकर ने याचिका में हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की है। साथ ही कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि सभी संवैधानिक संस्थाएं अपने क्षेत्राधिकार में रह कर काम करें। सुप्रीम कोर्ट स्पीकर की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।
सचिन पायलेट ने भी दाखिल की कैवियट ताकि उन्हें सुने बगैर न हो कोई आदेशउधर, दूसरी ओर सचिन पायलेट ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दाखिल कर दी है ताकि उनका पक्ष सुने बगैर कोर्ट इस मामले में कोर्ट कोई एकतरफा आदेश न जारी कर दे। स्पीकर की याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने कई फैसलों में कह चुका है कि स्पीकर या विधानसभा के समक्ष दसवीं अनुसूची के तहत लंबित कार्यवाही में कोर्ट दखल नहीं दे सकता। किहोतों होला व अन्य मामलों के फैसलों को देखते हुए हाईकोर्ट का आदेश पहली निगाह में ही गैर कानूनी है। याचिका में कहा गया है कि गत 14 जुलाई को सदस्यों को जारी किये गए नोटिस संविधान के अनुच्छेद 212 के तहत सदन की कार्यवाही का हिस्सा है और इसकी न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। सदन की कार्यवाही को न्यायिक समीक्षा से छूट प्राप्त है।
यह प्रक्रिया की शुरुआत है कहा गया है कि याचिका में प्रतिवादी बनाए गए विधायकों को 14 जुलाई को जारी किया गया नोटिस सीमित मुद्दे पर है, उसमें सदस्यों से उनकी कमेंट मांगी गई है। ये नोटिस सदस्यों की अयोग्यता के मामले में अंतिम निर्णय नहीं है बल्कि सिर्फ प्रक्रिया की शुरुआत है। ये नोटिस दसवीं अनुसूची के पैरा 6(2) और अनुच्छेद 212 के तहत सदन की कार्यवाही का हिस्सा है। कहा गया कि अयोग्यता के मामले में कोर्ट सीमित स्तर तक ही मामले में दखल दे सकता है। ऐसे में हाईकोर्ट का स्पीकर को अयोग्यता मामले में कार्यवाही या जवाब मांगने से रोकने का आदेश कानूनन गलत है और सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ द्वारा दिये गए फैसले के खिलाफ है।
कोर्ट के आदेश में निर्देशित शब्द का प्रयोग स्पीकर के अधिकारों का हननउधर, राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि हाईकोर्ट में चल रहे मामले में पहले तो कोर्ट में स्पीकर से आग्रह किया गया था कि वे याचिका के संबंध में कोई निर्णय न दें। मंगलवार को जब कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा तो उसमें 'निर्देशित' शब्द का इस्तेमाल किया जो स्पीकर के अधिकार का हनन है। हालांकि, कटारिया ने यह भी कहा कि अभी उन्होंने कोर्ट का इस संबंध में पूरा आदेश नहीं पढ़ा है। पूरा आदेश पढ़ने के बाद ही वे आगे कुछ कह पाएंगे।
राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला 24 जुलाई कोइससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर डॉ. सीपी जोशी की तरफ से सचिन पायलट समेत 19 विधायकों को जारी कारण बताओ नोटिस पर मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली थी। मुख्य जस्टिस इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि अब फैसला 24 जुलाई को सुनाया जाएगा, तब तक विधानसभा अध्यक्ष कोई कार्रवाई नहीं करें। इसे पायलट खेमे के लिए राहत माना जा रहा है। मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों ने खूब जिरह की। सचिन पायलट खेमे की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और मुकुल रोहतगी ने पैरवी की, तो स्पीकर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषषेक मनु सिंघवी ने दलीलें रखीं।
सीएम अशोक गहलोत बुला सकते हैं विधानसभा सत्र ऐसे में माना जा रहा है कि हाईकोर्ट के तीन दिन बाद फैसला सुनाने से अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों को विधायकों को अपनी ओर करने के लिए समय मिलेगा। इस दौरान सीएम अशोक गहलोत बागी विधायकों को तोड़ने का प्रयास करेंगे। वह राजस्थान विधानसभा का सत्र भी बुला सकते हैं। तब व्हिप जारी किया जाएगा, जिसका उल्लंघन कर सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होने पर विधायक की सदस्यता समाप्त हो सकती है। सत्र बुलाए जाने पर बागी विधायकों को सदन में आना पड़ेगा। वहीं, सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान से अपने शुभचिंतकों के साथ बातचीत करने का मौका मिलेगा।