पायलट का गहलोत पर वार, कहा- पीएम मोदी कर चुके हैं गुलाम नबी आजाद की भी तारीफ, बाद में जो हुआ...
पीएम मोदी मंगलवार को बांसवाड़ा के पास मानगढ़ धाम में मानगढ़ धाम की गौरव गाथा कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। इस मंच पर उनके साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी थे और इस दौरान उन्होंने गहलोत की तारीफ की थी।
जयपुुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संग्राम जारी है। पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले मानगढ़ धाम में जिस तरह से गहलोत की तारीफ की उस पर तंज कसते हुए पायलट ने यहां तक कह दिया कि मोदी ने संसद में गुलाम नबी आजाद की की भी इसी तरह बड़ाईयां (तारीफ) की थी। उसके बाद क्या घटनाक्रम हुआ सबने देखा है।
पायलट ने कहा, 'मोदी ने जिस तरह से बड़ाईयां की वह दिलचस्प घटनाक्रम था। इसको हल्के में नहीं लेना चाहिए।' दरअसल,मोदी ने अपने भाषण में सबसे पहले गहलोत का ही नाम लिया और कहा, 'गहलोत सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री हैं। मैं जब सीएम था तब भी गहलोत वरिष्ठ थे।' मोदी और गहलोत की अकेले में मुलाकात भी हुई थी।
उधर प्रदेश के ग्रामीण विकास राज्यमंत्री राजेंद्र गुढा ने गहलोत और उनके समर्थक मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोला है। गुढ़ा ने कहा, 'कांग्रेस आलाकमान को मुख्यमंत्री बदलने का फैसला करने के लिए शीघ्र विधायक दल की बैठक बुलानी चाहिए।'
उन्होंने कहा कि सीएम के बारे में फैसला कर दुविधा खत्म करनी चाहिए । वर्तमान में मंत्री, विधायक और कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता में दुविधा है कि पता नहीं सीएम के बारे में क्या निर्णय होगा ।
गुढ़ा ने गहलोत समर्थक स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल,जलदाय मंत्री महेश जोशी और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ को उनके पदों से बर्खास्त करने की मांग की है। तीनों नेताओं ने आलाकमान को चुनौती दी है।
अनुशासनहीनता करने वालों पर कार्रवाई हो
पायलट ने बुधवार को जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाने के मामले में तीन लोगों को नोटिस दिए गए थे। नोटिस पर शीघ्र निर्णय होना चाहिए। कानून,अनुशासन सब पर लागू है। ऐसा तो हो नहीं सकता है कि अनुशासनहीनता मानी गई हो और उस पर निर्णय नहीं लिया जाए । कार्रवाई होनी चाहिए।
आलाकमान की विश्वसनीयता का सवाल
गुढ़ा ने बुधवार को एक बातचीत में कहा कि 25 सितंबर को तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिाकर्जुन खरगे और अजय माकन पर्यवेक्षक के रूप में विधायक दल की बैठक लेने के जयपुर आए थे।
मुख्यमंत्री निवास पर दोनों पर्यवेक्षक बैठे रहे। लेकिन धारीवाल,जोशी और राठौड़ ने समानांतर बैठक बुलाकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी को विधायकों के इस्तीफे दिलवा दिए। इसके बाद दिल्ली में संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल ने एक-दो दिन में सीएम को लेकर फैसला करने की बात कही थी।
लेकिन एक महीने से ज्यादा समय हो गया है। अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है। अब खरगे पार्टी अध्यक्ष हैं तो उन्हे जल्द निर्णय करना चाहिए। धारीवाल,जोशी और राठौड़ को उनकी अनुशासनहीनता पर नोटिस दिया गया था। उस पर शीघ्र निर्णय कर इन्हे बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आलाकमान की विश्वसनीयता का सवाल है।