Rajasthan: संत चेतन महाराज ने इस तरह जंगल को कर दिया गंदगी से मुक्त
Rajasthan राजस्थान में उदयपुर से लगभग पैंतीस किलोमीटर दूर केलेश्वर जंगल के बीच केलेश्वर महादेव का मंदिर है। जहां लोगों की आवाजाही अकसर लगी रहती है लेकिन सावन महीने में इस स्थल का महत्व अधिक बढ़ जाता है।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। प्राकृतिक सफाई और मानवीय गुणों की रक्षा के लिए एक जिद और पागलपन जरूरी है। इसी जिद और जुनून के चलते एक संत ने उदयपुर के निकट केलेश्वर के जंगल को पूरी तरह गंदगी से मुक्त कर दिया। केलेश्वर जंगल में आपको प्लास्टिक, बोतल तो दूर की बात, कहीं भी कागज का टुकड़ा तक दिखाई नहीं देगा। संत ने इंसान ही नहीं, बल्कि जानवरों तक की आदतें भी ऐसी बदल दीं कि यहां आने वालों को किसी तरह की परेशानी नहीं होती। उदयपुर से लगभग पैंतीस किलोमीटर दूर केलेश्वर जंगल के बीच केलेश्वर महादेव का मंदिर है। जहां लोगों की आवाजाही अकसर लगी रहती है, लेकिन सावन महीने में इस स्थल का महत्व अधिक बढ़ जाता है। बरसात के महीने में केलेश्वर जंगल किसी हिलस्टेशन से कमतर नहीं लगता। जंगल के बीच प्राचीन महादेव मंदिर प्रांगण में संत चेतन महाराज रहते हैं।
पहाड़ियों से घिरे मंदिर के समीप साल भर बहने वाला झरना लोगों को अभिभूत कर देता है, जिसकी रफ्तार बारिश के दिनों में बढ़ जाती है। संत चेतन महाराज यहां दशकों से रहते हैं और उन्होंने केलेश्वर महादेव मंदिर के कई किलोमीटर क्षेत्र को गंदगी से मुक्त कर दिया। इसमें उन्होंने कई साल लगे। वह कहते हैं कि यहां सभी का स्वागत है, किन्तु गंदगी का नहीं। इस जंगल में प्रवेश करते हुए वहां की आबोहवा और साफ-सफाई का पता घुसते ही लग जाता है। रास्ते में कहीं भी आपको प्लास्टिक थैली, बोतल, कागज या अन्य अपशिष्ट नहीं मिलेगा। संत कहते हैं कि यह उनका पागलपन है, जिसे उन्होंने पूरी तन्यमयता, जिद और जुनून के साथ किया है। यहां आने वाले हर व्यक्ति को अपने सामान की जांच करानी होती है तथा प्लास्टिक, अनुपयोगी बोतल या अन्य अपशिष्ट होने वाला सामान डस्टबिन में डालना होता है। संत कहते हैं कि शुरू में लोगों को उनकी जिद पसंद नहीं आई, लेकिन अब यहां आने वाले हर व्यक्ति उनके बनाए नियमों की पालना करता है।
शराब ही नहीं, पालतू कुत्ते को भी जंगल में लाना मना
संत चेतन महाराज का कहना है कि केलेश्वर जंगल में बीयर, शराब या नशे का अन्य सामान ही नहीं, पालतू कुत्ते को लाना भी पूरी तरह प्रतिबंधित है। जिन लोगों को इस तरह की आदत है, वह जंगल में पांव रखने तक में घबराते हैं। उन्होंने जंगल तथा आसपास गांवों में रहने वाले आदिवासी बच्चों तक को भी ऐसे लोगों पर निगाह रखने को कह रखा है। स्कूल या कॉलेज से बंक मारकर आने वाले विद्यार्थी भी इस जंगल में नहीं आ सकते। इसका पता उनके बैग चेक करने से पता चल जाता है। यहां प्रवेश करने वाले व्यक्ति को अपने साथ लिए बैग की जांच कराना अनिवार्य कर रखा है। संत कहते हैं कि उन्हें प्रेमी-प्रेमिकाओं के आने से किसी तरह का गुरेज नहीं, किन्तु स्कूल—कॉलेज बंक करने वालों से बेहद चिढ़ है।
आप खाना खा रहे होंगे तो पास नहीं आएंगे बंदर
केलेश्वर महादेव मंदिर के आसपास सैकड़ों की तादाद में बंदर हैं, लेकिन आप मंदिर प्रांगण में बैठकर खाना खा रहे हैं तो एक भी बंदर आपके पास नहीं आएगा। यहां रहने वाले बंदर कभी भी झूठा डाला गया खाना नहीं खाते। संत ने बंदरों को इस तरह प्रशिक्षित कर रखा है, ताकि वह यहां आने वाले लोगों का बचा भोजन नहीं खाएं। बंदरों के निमित्त से लाए गए फल और भोजन उन्हें निश्चित समय पर प्रदान किए जाते हैं।
आदिवासी बच्चों का बदला स्वभाव
केलेश्वर जंगल के बीच बसे गांवों तथा समीपवर्ती गांवों के आदिवासी बच्चों का स्वभाव भी संत के प्रभाव के चलते बदल गया है। संत बताते हैं कि एक समय ऐसा था, जब यहां आने वाले लोगों के वाहनों से आदिवासी बच्चे पेट्रोल तक चुरा ले जाते थे। शिकार के अलावा कुछ बच्चों में चोरी की आदतें थी। यहां अब चोरी जैसी घटना नहीं होती। ऐसे आदिवासी बच्चे जो पशुओं को चराते हैं, वह भी उनके बनाए नियमों की पालना करते हैं। उन्हें माता-पिता के कामकाज में मदद के साथ पढ़ने के प्रति भी सचेत किया।