कहानीकार स्वयंप्रकाश के निधन पर साहित्य जगत मे शोक
स्वयंप्रकाश के 21 कहानी संग्रह 5 उपन्यास 5 निबंध संग्रह सहित 15 अन्य पुस्तकें प्रकाशित हुईं। वे बाल साहित्य भी रचते थे।
By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sun, 08 Dec 2019 01:53 AM (IST)
अजमेर, ब्यूरो। देश के बहुचर्चित व प्रतिष्ठित कहानीकार स्वयंप्रकाश का आज प्रातः मुम्बई में निधन हो गया। उनके निधन पर अजमेर के साहित्य जगत ने शोक व्यक्त किया है।
स्वयंप्रकाश मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे साहित्यकार थेप्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव डॉ अनन्त भटनागर ने बताया कि स्वयंप्रकाश ने अजमेर में ही शिक्षा प्राप्त की तथा अध्ययनकाल में ही लेखन प्रारंभ कर देश भर में प्रतिष्ठा अर्जित की। अध्यक्ष डॉ हरप्रकाश गौड़ ने कहा कि स्वयंप्रकाश मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे साहित्यकार थे। पद्मश्री डर चंद्रप्रकाश देवल ने कहा कि देश के साहित्य जगत में स्वयंप्रकाश को उनकी विलक्षण कथागोई के लिए जाना जाता है ,उनका अवसान हिंदी कथा जगत के लिए अपूरणीय क्षति है।
उनकी कहानियां एनसीईआरटी सहित विभिन्न विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती हैं
स्वयंप्रकाश के समकालीन कथाकार डॉ राम जैसवाल ने कहा कि भीनमाल जैसे छोटे से कस्बे में नौकरी करते हुए उन्होंने देश की सभी राष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिकाओं में छपने के गौरव प्राप्त किया। डॉ बीना शर्मा ने कहा कि उनकी कहानियां एनसीईआरटी सहित देश के विभिन्न बोर्ड्स तथा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में पढ़ाई जाती हैं।
स्वयंप्रकाश के निधन पर अपार शोकसुरेंद्र चतुर्वेदी ने उनके निधन पर अपार शोक व्यक्त करते हुए उन्हें अजमेर की शान बताया। साहित्यकार बक्शीश सिंह, नवलकिशोर भाभड़ा, शकुंतला तंवर, गोपाल माथुर, उमेश चौरसिया, गोविन्द भारद्वाज, कलिंदनंदिनी शर्मा, विमलेश शर्मा आदि ने स्वयंप्रकाश के निधन पर संवेदना व्यक्त की है।
स्वयंप्रकाश को कई पुरस्कारों से नवाजा गयाउल्लेखनीय है कि स्वयंप्रकाश के 21 कहानी संग्रह, 5 उपन्यास, 5 निबंध संग्रह सहित 15 अन्य पुस्तकें प्रकाशित हुईं। वे बाल साहित्य भी रचते थे। उन्हें केंद्रीय साहित्य द्वारा बाल साहित्य सम्मान, पहल सम्मान, वनमाली पुरस्कार, कथाक्रम सम्मान व भवभूति अलंकरण आदि प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
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