राजस्थान के एक गांव की है ये अदभुत कहानी
आजादी के 70 वर्ष के साथ ही इतने नेता और अफसर देने के बाद भी गांव में बीपीएल परिवारों की संख्या 10 हजार 787 है।
By Preeti jhaEdited By: Updated: Tue, 25 Jul 2017 03:00 PM (IST)
जयपुर, [नरेन्द्र शर्मा]। राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में 'बामनवास' नाम का एक गांव ऐसा है जहां से सबसे अधिक 150 प्रशासनिक अधिकारी बने और एक ही परिवार के दो भाई पुलिस महानिदेशक बने तो एक भाई राज्य का मुख्य सचिव बना। पुलिस महानिदेशक बनने वाले दोनों भाई सेवानिवृति के बाद सांसद बने,इनमें से एक केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री के ओहदे तक पहंुचा,लेकिन गांव बदहाल ही रहा।
इसी परिवार का एक भाई वर्तमान में कस्टम अधिकारी के रूप में मुम्बई में तैनात है तो एक भाई पिछले दिनों ही केन्द्र में सचिव पद से सेवानिवृत हुआ है। ऊंचे ओहदों पर पहुंचने के बाद इन राजनेताओं एवं अफसरों ने अपने गांव की ओर कभी मूड कर ही नहीं देखा। गांव के विकास में इन्होंने कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई।बामनवास गांव निवासी श्रीराम मीणा के पांच बेटों में सबसे बड़े नमोनारायण मीणा आईपीएस अधिकारी बनने के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक बने और फिर कांग्रेस के टिकट पर सवाई माधोपुर से ही लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने। मीणा मनमोहन सिंह सरकार में वित्त राज्यमंत्री भी रहे।
इनके छोटे भाई हरीश मीणा भी आईपीएस अधिकारी बनने के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक बने। हरीश ने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और अपने ही ही छोटे भाई नमोनारायण मीणा को चुनाव हराया। नमोनारयण कांग्रेस के प्रत्याशी थे। इन्ही के एक भाई ओ.पी.मीणा राज्य के मुख्य सचिव बने और पिछले दिनों ही सेवानिवृत हुए है। इसी परिवार के एक भाई धर्मसिंह मीणा कस्टम अधिकारी रहते हुए वर्तमान में मुम्बई में तैनात है। इनके एक भाई भवानी मीणा कुछ समय पूर्व केन्द्र में सचिव पर से सेवानिवृत हुए है। इसी गांव के एक आईएएस अधिकारी कुंजीलाल मीणा वर्तमान में राजस्थान सरकार में उधोग आयुक्त के पद पर कार्यरत है।ललित मीणा केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात है,वहीं गांव के 50 परिवार ऐसे है जिनके सदस्य या तो आईएएस बने या फिर आईपीएस और आईआरएस बने,कुछ रेलवे सर्विस में गए। इन्ही परिवारों के कुछ सदस्य राजस्थान की विभिन्न प्रशासनिक सेवाओं में तैनात है। गांव के लोग बड़े र्गव से कहते है देश के अधिकांश राज्यों में बामनवास गांव का व्यक्ति किसी ना किसी पद पर बैठा हुआ मिल जाएगा। इसी गांव से चार सांसद बने इनमें जसकौर मीणा,उषा मीणा,रामकुंवार मीणा और छुट्टन लाल मीणा शामिल है। जसकौर तो वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रही। इसी गांव भरतलाल मीणा तीन बार और नवल किशोर मीणा दो बार विधायक भी बने। लेकिन गांव फिर भी बदहाल है।
आजादी के 70 वर्ष के साथ ही इतने नेता और अफसर देने के बाद भी गांव में बीपीएल परिवारों की संख्या 10 हजार 787 है। राज्य सांख्यिकी विभाग की ओर से जारी इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि यहां रहे रहे परिवारों की क्या हालत है। गांव में 49.6 प्रतिशत महिलाएं ही साक्षर है। गांव में ना तो पक्की सड़क है और ना ही पीने का पानी साफ मिलता है। महिलाओं को बड़ी दूर हैंडपम्प से पानी लाना पड़ता है। स्वीकृति के बाद भी ना तो विधुत सब स्टेशन बना और ना ही महाविधालय बनकर तैयार हुआ।गांव के हालात को लेकर बात करने पर पूर्व वित्त राज्यमंत्री नमोनारायण मीणा कहते है कि व्यस्तताओं के कारण गांव नहीं जा सका। गांव के लोग मिलते है तो उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करते रहते है। वहीं पूर्व मुख्य सचिव ओ.पी.मीणा का कहना है कि कभी-कभी गांव जाते रहे है,अब नियमित रूप से जाएंगे।
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