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तपते रेत के धोरों के बीच ठंड का अहसास देता जैसलमेर के रेगिस्तान में बसा ये अनूठा स्कूल, देखने आते हैं पर्यटक

न्यूयार्क के आर्किटेक्ट डायरला केलाग ने डिजाइन किया भवन यूनिफॉर्म प्रसिद्ध ड्रेस डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने तैयार की रेगिस्तान में जहां गर्मी के दिनों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता हैवहां अब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के लिहाज से राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल शुरू किया गया है।

By Priti JhaEdited By: Updated: Mon, 28 Jun 2021 05:35 PM (IST)
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तपते रेत के धोरों के बीच ठंड का अहसास देता एक स्कूल
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। रेत के धोरों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान के जैसलमेर जिले में बालिका शिक्षा और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने को लेकर नई पहल हुई है। पाकिस्तान सीमा से सटे जैसलमेर के रेगिस्तान के केंद्र में स्थित पीले बलुआ पत्थर से बनी एक स्कूल की इमारत अपनी विशेष वास्तु कला की कहानी बयां करती है।

रेगिस्तान में जहां गर्मी के दिनों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है, बालिका शिक्षा बिल्कुल नगण्य है, वहां अब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के लिहाज से राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल शुरू किया गया है। गर्मी में जब लू के थपेड़ों से आम आदमी परेशान रहता है तो स्कूल का बेहतर पर्यावरण बालिकाओं के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। स्कूल भवन को अंडाकार सरंचना के साथ बनाया गया है।

स्कूल भवन में कोई एयर कंडीशनर नहीं है, लेकिन प्रचंड गर्मी में भी यहां राहत मिलती है। खूबसूरत जालीदार दीवार और हवादार छत के साथ ही सौर प्रतिष्ठान शानदार वास्तुकला का उदाहरण है। कोनाई गांव में स्थित इस स्कूल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

रेत के धोरों के साथ ही स्कूल की इमारत भी पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। स्कूल भवन को न्यूयार्क स्थित आर्किटेक्ट डायरला केलौग ने डिजाइन किया है। यहां पढ़ने वाली छात्राओं की यूनिफॉर्म प्रसिद्ध ड्रेस डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने तैयार की है। इसमे नीले रंग की घुटनों तक की फ्रॉक के साथ मैरून रंग वेस्ट पैंट का मैच है।

मुफ्त शिक्षा के साथ नि:शुल्क भोजन भी

माइकल ड्यूब द्वारा स्थापित स्वयंसेवी संस्था सीआईटीटीए ने इस स्कूल को वित्त पोषित किया है। जैसलमेर राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाले मानवेंद्र सिंह ने मिलकर यह स्कूल बनाया है।

मानवेंद्र सिंह का कहना है कि स्कूल खोलने का मकसद बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि 21 जुलाई से नया शिक्षा सत्र शुरू करने की योजना है। स्कूल में 400 छात्राओं को पढ़ाने की क्षमता है। मुफ्त शिक्षा के साथ ही दोपहर का भोजन भी स्कूल द्वारा ही उपलब्ध करवाया जाएगा। कक्षा 10 तक यहां छात्राओं को पढ़ाने के साथ ही कंप्यूटर और अंग्रेजी बोलने का विशेष तौर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।

यह है स्कूल का नाम राजकुमारी रत्नावती रखने का मकसद

मानवेंद्र सिंह ने बताया कि नाम राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल रखने का मकसद छात्राओं में आत्मविश्वास और हिम्मत पैदा करना है। उन्होंने बताया कि राजकुमारी रत्नावती के बारे में कहा जाता है कि जब उनके पिता महारावल रत्नसिंह महल को उनके भरोसे छोड़कर युद्ध में जा रहे थे तो उन्होंने कहा था कि पिता जी आप चिंता मत किजिए मैं इस महल का बाल भी बांका नहीं होने दूंगी।

इसी दौरान जब दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी की सेना हमला करने आती हैं तो ललकारती है, मैं एक स्त्री हूं, लेकिन अबला नहीं, मुझमे मर्दाें जैसा साहस और हिम्मत है। उन्होंने महल की रक्षा कर इस बात को साबित कर दिखाया था। उन्होंने मुगल सेना के सेनापति काफूर सहित 100 सैनिकोें को बंधक बना लिया था।

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