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Rajasthan: आदिवासी कर रहे अलग धर्म कोड़ की मांग, विधायक बोले-हम पर ना थोपा जाए हिंदू धर्म

Rajasthan राजस्थान में कांग्रेस के प्रमुख अग्रिम संगठन युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक गणेश घोघरा व बीटीपी के विधायक राजकुमार रोत का कहना है कि अलग धर्म होने से आदिवासियों की पहचान बनी रहेगी। आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते इसलिए हम पर इसे नहीं थोपा जाना चाहिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Updated: Sat, 10 Jul 2021 03:02 PM (IST)
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आदिवासी कर रहे अलग धर्म कोड़ की मांग, विधायक बोले-हम पर ना थोपा जाए हिंदू धर्म। फाइल फोटो
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान के आदिवासी अलग धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। आदिवासी नेताओं का कहना है कि उनका धर्म कोड अलग होना चाहिए, जिसे ट्राइबल रिलिजन नाम दिया जा सकता है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के नेता एकमत हैं। कांग्रेस के प्रमुख अग्रिम संगठन युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक गणेश घोघरा व बीटीपी के विधायक राजकुमार रोत का कहना है कि अलग धर्म होने से आदिवासियों की पहचान बनी रहेगी। इनका कहना है कि जनगणना हो या फिर चाहे अन्य कोई भी सरकारी फॉर्म भरने का मौका आता है तो उन्हें आदिवासी लिखने का विकल्प दिया जाना चाहिए। कांग्रेस और बीटीपी के विधायकों का कहना है कि आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते, इसलिए हम पर इसे नहीं थोपा जाना चाहिए। विधायक चाहते हैं कि इस मुद्दे पर अशोक गहलोत सरकार राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर के केंद्र सरकार को भेजे। पहले राज्य सरकार को आदिवासियों को अलग धर्म के अनुसार सुविधाएं देनी चाहिए। इनका कहना है कि हिंदू मूर्ति पूजा करते हैं, जबकि हम प्रकृति को पूजते हैं।

विधायक बोले, हम हिंदुओं से पूरी तरह भिन्न

रोत और घोघरा ने "दैनिक जागरण" से बातचीत में कहा कि हम हिंदू नहीं हैं। हमारी संस्कृति अलग है। उन्होंने कहा कि जबरन हिंदू धर्म थोपना गलत है। इस मुद्दे पर पूरा आदिवासी समुदाय एकजुट है। कांग्रेस के ही एक अन्य विधायक रामलाल मीणा ने कहा कि आदिवासियों में विवाह और अंतिम संस्कार की पूरी प्रक्रिया हिंदुओं से भिन्न है। हिंदुओं में शव का अंतिम संस्कार किया जाता है, जबकि आदिवासियों में दफनाया जाता है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड बनाने को लेकर जागरूकता बढ़ी है। युवाओं को हर स्तर पर परेशानी का सामना करना पड़ता है। अगर सरकारी दस्तावेजों में धर्म के कॉलम में हिंदू के स्थान पर आदिवासी लिखा होगा तो सभी तरह के कार्याें में आसानी रहेगी। रोत का कहना है कि हिंदुओं की तरह आदिवासियों में वर्ण व्यवस्था नहीं है। हिंदुओं में अलग-अलग जातियां हैं, लेकिन आदिवासियों में ऐसा नहीं है। आदिवासी एकता मंच के रामलाल खराड़ी का कहना है कि अलग आदिवासी धर्म की मांग को लेकर आंदोलन चलाया जाएगा। इसके लिए तैयारी की गई है। 

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