Udaipur Crime News: लापता हुई लड़कियों के मामले में ताजा खुलासा, 18 बेटियों के घरवालों को ही कोई जानकारी नहीं
Udaipur Crime News आयोग की टीम ने जिले के तीन गांवों का ही दौरा किया। लापता बच्चियों का पता लगाने के लिए उन्होंने आंगनबाड़ी तथा स्कूलों से उन सभी बच्चियों के बारे में जानकारी ली जो स्कूल छोड़ गई।
By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariUpdated: Thu, 10 Nov 2022 08:04 PM (IST)
उदयपुर [सुभाष शर्मा]। Udaipur Crime News: राजस्थान के उदयपुर से लापता हुई लड़कियों के मामले में रोजाना नई बातें सामने आ रही हैं। अब इस मामले में नया खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि भीलवाड़ा जिले के इंतुड़ा, धोंद का तोला और रजावास के तीन गांवों की कुल 46 बेटियां लापता हैं। इनमें से 18 बेटियों का पता तो उनके घरवालों को ही नहीं है। इनके बेचे जाने तथा गलत काम में धकेले जाने से इनकार नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस बारे में और भी जानकारियां साझा की है। वह कहते हैं यह तो तीन गांवों के आंकड़े हैं। यदि सही तरह से जांच का दायरा बढ़ाया जाए तो यह आंकड़ा सैकड़ों में पहुंच सकता है।
खास बातचीत में प्रियंक कानूनगो ने बताया कि भीलवाड़ा जिले में दस साल से बड़ी बच्चियों को बेचकर उनको गलत काम में धकेलने की यह सच्चाई रोंगटे खड़े करने वाली निकली। आयोग की टीम ने जिले के तीन गांवों का ही दौरा किया। लापता बच्चियों का पता लगाने के लिए उन्होंने आंगनबाड़ी तथा स्कूलों से उन सभी बच्चियों के बारे में जानकारी ली, जो स्कूल छोड़ गई।
वहां से उनके नाम- पता लेने के बाद उनके घरों तक टीम पहुंची तो हैरान करने वाली जानकारी मिली। जिन 46 बेटियों की वह बात कर रहे हैं, उनमें से 18 बेटियों के बारे में तो उनके परिजन ही नहीं बता पाए। जबकि बाकी बेटियों को लेकर परिजनों ने रिश्तेदारों के यहां भेजे जाने का बहाना बनाया। स्कूल या आंगनबाड़ी छुड़ाकर उन्हें कई महीनों—सालों तक रिश्तेदारों के यहां भेजे जाने की बात मनगढ़ंत ही लगी। अब पुलिस को कहा है कि वह इन सब की जांच करें ताकि सच्चाई सामने आए।
लापता बेटियों को लेकर पंद्रह दिन में मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने भीलवाड़ा जिला प्रशासन एवं पुलिस से लापता बेटियों को लेकर पंद्रन दिन में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन यह पता लगाए कि लापता बेटियां कहां और किस हालत में हैं। जिन 28 बेटियों के परिजन रिश्तेदारों के यहां होने की बात कह रहे हैं, उनका भी पता लगाकर उनकी रिपोर्ट आयोग को भिजवाने को कहा गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की शंका का समर्थनराष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने कहा जो शंका राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने जताई, वह अविश्वसनीय नहीं लगती। रेखा शर्मा भी जब जांच के लिए यहां आई तो उन्होंने कहा कि पुलिस को बेटियों के बेचे जाने की सारी जानकारी थी और है लेकिन वह इस सच्चाई से पर्दा नहीं उठा रहे। खरीदकर भी लाई जाती है बेटियां
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष कानूनगो ने यह भी बताया कि इन गांवों से लड़कियां बेची ही नहीं गई, बल्कि खरीदकर भी लाई जाती है। ऐसी आशंका उस समय हुई, जब एक घर में बुजुर्ग दंपती के यहां बारह—तेरह साल की दो बेटियां मिली। सत्तर साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग दंपती उन्हें अपनी बेटी बता रहे थे, जबकि ऐसा बायोलॉजिकल तरह से हो नहीं सकता। टीम को उनके बयानों पर शक है।
आशंका जताई जा रही है कि यहां बेटियां को खरीदकर लाया जाता है और उन्हें इस तरह प्रशिक्षित कर दिया जाता है ताकि जांच एजेंसियों को शक ना हो। उनके लड़कियों के जन्म प्रमाण पत्र भी नहीं मिले। इस मामले की जांच के लिए निर्देश दिए गए हैं। पंद्रह दिन में पता लग जाएगा कि ये बेटियां बुजुर्ग दंपती की हैं या नहीं।
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